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________________ जीव अध्ययन उ. असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा१. अणंतरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा य, २. परंपरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा य। प. से किं तं अणंतरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा? उ. अणंतरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा - पन्नरसविहा पन्नत्ता,तं जहा१. तित्थसिद्धा, २. अतित्थसिद्धा, ३. तित्थगरसिद्धा, ४. अतित्थगरसिद्धा, ५. सयंबुद्धसिद्धा, ६. पत्तेयबुद्धसिद्धा, ७. बुद्धबोहियसिद्धा, ८. इत्थीलिंगसिद्धा, ९. पुरिसलिंगसिद्धा, १०. नपुंसकलिंगसिद्धा, ११. सलिंगसिद्धा, १२. अण्णलिंगसिद्धा, १३. गिहिलिंगसिद्धा, १४. एगसिद्धा, १५. अणेगसिद्धा। से तं अणंतरसिद्ध असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा। प. से किं तं परंपरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा? उ. परंपरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा अणेगविहा पण्णत्ता,तं जहा१. अपढमसमयसिद्धा, . २. दुसमयसिद्धा, ३. तिसमयसिद्धा, ४. चउसमयसिद्धा जाव संखेज्जसमयसिद्धा, असंखेज्जसमयसिद्धा अणंतसमयसिद्धा से तं परंपरसिद्ध असंसारमावण्णजीवपण्णवणा। सेतं असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा।२ -पण्ण.प.१, सु.१५-१७ २४. विविह विवक्खया वग्गणा पगारेण सिद्धाणं भेय परूवणं 4. १२१ ।। उ. असंसारसमापन्नजीव प्रज्ञापना दो प्रकार की कही गई है, यथा१. अनन्तरसिद्ध असंसार समापन्नजीव प्रज्ञापना, २. परम्परसिद्ध असंसार समापन्नजीव प्रज्ञापना। प्र. वह अनन्तरसिद्ध असंसारसमापन्नजीव प्रज्ञापना क्या है? उ. अनन्तर सिद्ध असंसारसमापन्नजीव प्रज्ञापना पन्द्रह प्रकार की कही गई है, यथा१. तीर्थसिद्ध, २. अतीर्थसिद्ध, ३. तीर्थंकरसिद्ध, ४. अतीर्थंकरसिद्ध, ५. स्वयंबुद्धसिद्ध, ६. प्रत्येकबुद्धसिद्ध, ७. बुद्धबोधितसिद्ध, ८.'स्त्रीलिंगसिद्ध, ९. पुरुषलिंगसिद्ध, १०. नपुंसकलिंगसिद्ध ११. स्वलिंगसिद्ध, १२. अन्यलिंगसिद्ध, १३. गृहस्थलिंगसिद्ध, १४. एकसिद्ध, १५. अनेकसिद्ध। यह अनन्तरसिद्ध असंसारसमापन्न जीवों की प्रज्ञापना है। प्र. वह परम्परसिद्ध असंसारसमापन्न जीव प्रज्ञापना क्या है? उ. परम्परसिद्ध असंसारसमापन्न जीव प्रज्ञापना अनेक प्रकार की कही गई है, यथा१. अप्रथमसमयसिद्ध, २. द्विसमयसिद्ध, ३. त्रिसमयसिद्ध, ४. चतुःसमयसिद्ध यावत्-संख्यातसमयसिद्ध, असंख्यातसमयसिद्ध और अनन्तसमयसिद्ध। यह परम्परसिद्ध असंसारसमापन्न जीव प्रज्ञापना है। इस प्रकार यह असंसारसमापन्न जीवों की प्रज्ञापना का वर्णन पूर्ण हुआ। २४. विविध विवक्षा से वर्गणा प्रकार के द्वारा सिद्धों के भेदों का प्ररूपण१. तीर्थ-सिद्धों की वर्गणा एक है। २. अतीर्थ-सिद्धों की वर्गणा एक है। ३. तीर्थंकर-सिद्धों की वर्गणा एक है। ४. अतीर्थंकर-सिद्धों की वर्गणा एक है। ५. स्वयंबुद्ध-सिद्धों की वर्गणा एक है। ६. प्रत्येकबुद्ध-सिद्धों की वर्गणा एक है। ७. बुद्धबोधित-सिद्धों की वर्गणा एक है। ८. स्त्रीलिंग-सिद्धों की वर्गणा एक है। ९. पुरुषलिंग-सिद्धों की वर्गणा एक है। १०. नपुंसकलिंग-सिद्धों की वर्गणा एक है। ११. स्वलिंग-सिद्धों की वर्गणा एक है। १. एगा तित्थसिद्धाणं वग्गणा। २. एगा अतित्थसिद्धाणं वग्गणा। ३. एगा तित्थगरसिद्धाणं वग्गणा। ४. एगा अतित्थगरसिद्धाणं वग्गणा। ५. एगा सयंबुद्धसिद्धाणं वग्गणा। ६. एगा पत्तेयबुद्धसिद्धाणं वग्गणा। ७. एगा बुद्धबोहियसिद्धाणं वग्गणा। ८. एगा इत्थीलिंगसिद्धाणं वग्गणा। ९. एगा पुरिसलिंगसिद्धाणं वग्गणा। १०. एगा णपुंसकलिंगसिद्धाणं वग्गणा। ११. एगा सलिंगसिद्धाणं वग्गणा। १. उत्त.अ.३६ गा.४९ २. जीवा. पडि.१,सु.७
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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