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________________ ५६४ ५६४ सूत्र विषय पृष्ठांक | सूत्र विषय पृष्ठांक १९. योग अध्ययन ३३. चौबीसदंडकों में गुप्ति-अगुप्ति के भेदों का प्ररूपण, ५४५ १. विविध विवक्षा से योगों के भेद, ५३७ ३४. चौबीसदंडकों में दंडों की प्ररूपणा, २. योगों के गुरुलघुत्वादि का प्ररूपण, ५३७ ३. सत्य और मृषा की उत्पत्ति के कारण, ५३७ २०. प्रयोग अध्ययन ४. चार गतियों में योगित्व-अयोगित्व का प्ररूपण, ५३७-५३८ १. प्रयोग के भेदों का प्ररूपण, ५४७ ५. योगों के भेद और चौबीसदंडकों में प्ररूपण, ५३८ २. जीव-चौबीसदंडकों में प्रयोगों का प्ररूपण, ५४७-५४९ ६. योग निवृत्ति के भेद और चौबीसदंडकों में ३. जीव-चौबीसदंडकों में प्रयोग भंगों का प्ररूपण, ५४९-५५५ प्ररूपण, ५३८ ४. गतिप्रपात की प्ररूपणा, ५५६ ७. योगकरण के भेद और चौबीसदंडकों में ५. प्रयोगगति के भेद और जीव-चौबीसदंडकों प्ररूपण, ५३९ में प्ररूपण, ८. चौबीसदंडकों में समयोगी विषमयोगित्व का ६. ततगति का स्वरूप, ५५६ प्ररूपण, ५३९ ७. बन्धनछेदनगति का स्वरूप, ५५६ १. मन-योग ८. उपपातगति के भेद-प्रभेद, ५५७-५५९ ९. मन के चार भेद, ५३९ ९. सत्तरह प्रकार की विहायोगति का प्ररूपण, ५५९-५६२ १०. मन के अनात्मत्व का प्ररूपण, ५३९ ११. मन के रूपित्व का प्ररूपण, ५३९ २१. उपयोग अध्ययन १२. मन के अचित्तत्व का प्ररूपण, ५३९-५४० १. उपयोग के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण, ५६४ १३. मन के अजीवत्व का प्ररूपण, ५४० २. सामान्यतः जीवों में उपयोगों का प्ररूपण, ५६४ १४. अजीवों के मन निषेध का प्ररूपण, ५४० ३. उपयोगों के अगुरुलघुत्व का प्ररूपण, १५. मनोद्रव्य के भेदन का प्ररूपण, ५४० ४. उपयोगों में वर्णादि का अभाव, १६. मननिर्वृत्ति के भेद और चौबीसदंडकों में ५. उपयोग निर्वृत्ति के भेद और चौबीसदण्डकों प्ररूपण, ५४० में प्ररूपण, ५६४ २. वचन-योग ६. चौबीसदण्डकों में उपयोगों के भेद-प्रभेदों का १७. मन-वचनों की त्रिरूपता, ५४० प्ररूपण, ५६५-५६६ १८. प्रकारान्तर से वचन के तीन प्रकार, ५४१ ७. जीव-चौबीसदण्डकों में साकार-अनाकारोपयुक्तत्व का प्ररूपण, ५६६-५६८ ३. काय-योग ८. केवलियों में एक समय में दो उपयोगों का १९. काया के सात भेद, निषेध, ५६८-५६९ २०. काया में आत्मत्व-अनात्मत्व का प्ररूपण, ५४१ ९. उपयोगयुक्तों की कायस्थिति का प्ररूपण, ५६९ २१. काया में रूपित्व-अरूपित्व का प्ररूपण, ५४१ १०. उपयोगयुक्तों के अन्तरकाल का प्ररूपण, २२. काया में सचित्तत्व-अचित्तत्व का प्ररूपण, ५४१ ११. उपयोगयुक्तों का अल्पबहुत्व, ५६९ २३. काया में जीवत्व-अजीवत्व का प्ररूपण, ५४१ १२. चार गतियों में दर्शनोपयोग का प्ररूपण, ५६९-५७० २४. जीव से काया के सम्बन्धादि का प्ररूपण, ५४१-५४२ १३. दर्शन के अगुरुलघुत्व का प्ररूपण, २५. देव आदिकों की उस-उस समय में एक योग १४. चक्षुदर्शनी आदि की कायस्थिति का प्ररूपण, ५७० प्रवृत्ति, ५४२ १५. चक्षुदर्शनी आदि के अंतरकाल का प्ररूपण, ५७०-५७१ २६. योग की अपेक्षा कायस्थिति का प्ररूपण, ५४२ १६. चक्षुदर्शनी आदि का अल्पबहुत्व, ५७१ २७. योग की अपेक्षा अन्तरकाल का प्ररूपण, ५४२-५४३ २८. योग की अपेक्षा अल्पबहुत्व, २२. पश्यता अध्ययन ५४३ २९. पन्द्रह प्रकार के योगों का अल्पबहुत्व, ५४३-५४४ १. पश्यता के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण, ३०. प्रणिधान के भेद और चौबीसदंडकों में प्ररूपण, ५४४ २. सामान्य से जीवों में पश्यता का प्ररूपण, ५७३ ३१. दुःप्रणिधान और सुप्रणिधान के भेद और ३. चौबीसदण्डकों में पश्यता के भेद-प्रभेदों का चौबीसदंडकों में प्ररूपण, ५४४-५४५ प्ररूपण, ५७३-५७४ ३२. पंचेन्द्रिय जीवों में चतुर्विध प्रणिधानों का ४. जीव-चौबीसदण्डकों में साकार-अनाकार पश्यता प्ररूपण, ५४५ वालों का प्ररूपण, ५७४-५७६ ५४१ ५६९ ५७० ५७३ (८५)
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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