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द्रव्य संग्रह असंशो। ( णेया) जानना चाहिए। ( परे ) शेष । ( सटवे ) सब । (णिम्मणा ) असंज्ञो। (णेया । जानना चाहिए ! ( एईदो ) एकेन्द्रिय जीव । ( बादर सुहमा ) बादर और सूक्ष्म होते हैं। ( सब्वे) ये सब जीव । ( पज्जत्त ) पर्याप्तक । ( इदरा य ) और अपर्याप्तक होते हैं।
अर्थ
पञ्चेन्द्रिय जीव संजो और असंज्ञो के भेद से दो प्रकार के होते हैं। शेष एकेन्द्रिय विकलत्रय असंशो होते हैं। एकेन्द्रिय जीवों में कुछ बादर और कुछ सूक्ष्म होते हैं । और सभी जीव पर्याप्तक और अपर्याप्तक के भेद से दो प्रकार के होते हैं।
प्र०-मनसहित एवं मनरहित जीव कौन से हैं?
उ-पञ्चेन्द्रिय जीव मनरहित भी होते हैं। मनसाहत मी होत हैं किन्तु एकेन्द्रिय और विकलत्रय जीव मनरहित हो होते हैं।
प्रक-बादर जीव किन्हें कहते हैं ?
उ०-जो स्वयं भी दूसरों से रुकते हैं और दूसरों को भी रोकते हैं अथवा जो आपस में टकरा सके उनको बादर जोय कहते हैं।
प्र-सूक्ष्म जीव किन्हें कहते हैं ?
उ-जो दूसरों को नहीं रोकते हैं तथा दूसरों से रुकते भी नहीं हैं अथवा जो किसी से टकरा न सकें उन्हें सूक्ष्म जीव कहते हैं।
प्र०-पर्याप्तक जीव किन्हें कहते हैं ?
उ.-जिन जीवों की आहारादि पर्याप्तियां पूर्ण हो जाये उन्हें पर्याप्तक जीव कहते हैं।
प्र-अपर्याप्तक जीव किन्हें कहते हैं ?
उ०-जिन जीवों की आहार आदि पर्याप्तियाँ पूर्ण नहीं होती हैं उन्हें अपर्याप्तक जोव कहते हैं।
प्रा–पर्याप्त किसे कहते हैं?
३०-गृहोत आहारवर्गणा को खल-रस भाग आदि रूप परिणमाने को जीव की शक्ति के पूर्ण हो जाने को पर्याप्ति कहते हैं ।
प्र-पर्याप्तियों के भेद बताइये।
3०-पर्याप्ति के ६ भेद हैं-१-आहार, २-शरीर, ३-इन्द्रिय ४-बासोच्छ्वास, ५-भाषा और ६-मन ।
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