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द्रव्य संग्रह प्र-ओव मूर्तिक है या अमूर्तिक ? उ.-जीव मूर्तिक भी है और अमूर्तिक भी है । प्र०-जीव अमूसिक किस अपेक्षा से है ? और क्यों है ?
उ.-निश्चयनय से जोव अभूतिक है, क्योंकि उसमें स्पर्श, रस, गन्ध और वर्ण नहों पाये जाते हैं। प्रक-जीव मूर्तिक किस अपेक्षा से है ?
-संसारी जीव व्यवहारनय से भूतिक है । क्योंकि यह अनादिकाल से कर्मों से बैषा हुआ है । कर्म पुद्गल है और पुद्गल मूर्तिक है । मूर्तिक के साथ रहने से अमूर्तिक मारमा भो मूर्तिक कहा जाता है।
प्र-यदि भास्मा अमूर्तिक है सो मूर्तिक कैसे हो सकता है ? और यवि मूर्तिक है वो अमूर्तिक कैसे ? ।
२०-एक ही राम, पिता भी थे और पुत्र भी थे। अपेक्षाकृत कथन है । पिता शाम को अदेला नाम पुत्र और पुलों नया को अपेक्षा पिता भी । इसमें कोई विरोष नहीं प्रतीत होता है। इसी प्रकार आरमा के शुद्ध स्वरूप का विचार करने पर यह अमूर्तिक है और कम पुदगलमय अशय स्वरूप को अपेक्षा मूर्तिक है, इसमें कोई विरोध नहीं है ।
प्र०-स्पर्श किसे कहत हैं ? उसके कितने भेद हैं ?
उ-छूने पर जो पदार्थ का ज्ञान होता है उसे स्पर्श कहते हैं। बह पाठ प्रकार का होता है-ठण्डा, गरम, कला, चिकना, मुलायम, कठोर, हलका और भारो।
प्र०-रस किसे कहते हैं ? भेद सहित बताइये।
३०-रस स्वाद को कहते हैं और उसके पांच भेद हैं-बट्टा, माठा, कडुआ, चरपरा और कषायला।
प्र०मान्ध किसे कहते हैं ? भेद सहित बताइये। बनान्ध महक को कहते हैं वह दो प्रकार को होता है-सुगन्ध और दुर्गन्ध ।
प्र०-वर्ण किसे कहते हैं तथा इसके कितने भेद है ? ।
No-वर्ण रंग को कहते हैं । रंग पांच प्रकार के होते हैं-काला, पोला, नोला, लाल और सफेद ।