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________________ लोदी सिकन्दर निजाम खाँ और दिगम्बराचार्य विशालकीर्ति - लोदी खानदान में सिकन्दर (निजाम खा) बादशाह सन् १४८९ में राजसिंहासन पर बैठा था।' हमसपठ के गुरु श्री विशालकीर्ति भी लगभग इसी समय हुये थे। उनके विषय में एक शिलालेख में पाया जाता है कि उन्होंन सिकन्दर बादशाह के समक्ष वाद किया था। वह बाद लोदी सिकन्दर के दरबार में हुआ प्रतीत होता है। अतः यह स्पष्ट है कि दिगम्बर मनि तब भी इतने प्रभावशाली थे कि वे बादशाहों के दरबार में भी पहुंच जाते थे। तत्कालीन विदेशी यात्रियों ने दिगम्बर साधओं को देखा था- जैन साहित्य के उपयुक्त उल्लेखों की पुष्टि अजैन श्रोत से भी होती है। विदेशी यात्रियों के कथन मे यह स्पष्ट है कि गुलाम से लोन्दी राज्यकाल तक दिगम्बर जैन मुनि इस देश में बिहार और धर्म प्रचार करते रहे थे। देखिय, तेरहवीं शताब्दी में यूरोपीय यात्री मार्को पोलो (Morco Pola) जब भारत में आया तो उसे ये दिगम्बर साधु मिले। उनके विषय में यह लिखता है कि - ____ "कतिपय योगी मादरजात नंगे घुमते थे, क्योंकि जैसे उन्होंने कहा, वे इस दुनिया में नंगे आये हैं और उन्हें इस दनिया की कोई चीज नहीं चाहिये। खासकर उन्होंने यह कहा कि हमें शरीर सम्बन्धी किसी भी पाप का पान नहीं है और इसलिये हमें अपनी नंगी दशा पर शर्म नहीं आती है, उसी तरह जिस तरह तुप अपना मुह और हाथ नंगे रखने में नहीं शाम को, जिन्हें पार का मानही यह अच्छा करते हो कि शर्म के मारे अपनी नग्नता ढक लेते हो।" इस प्रकार की मान्यता दिगम्बर पनियों की है। माकों पोलो का समागम उन्हों से हुआ प्रतीत होता है। वह उनके संसर्ग में आये हुये लोगों में अहिंसा धर्म की बाहुल्यता प्रकट करता है। यहाँ तक कि वह साग-सब्जी तक ग्रहण नहीं करते थे। सूखे पत्नों पर रखकर भोजन करते थे। वे इन सब मे जीव-तत्व का होना मानते थे। हैवेल सा. गजरात के जैनों में इन मान्यताओं का होना प्रकट करते हैं। किन्तु वस्तुतः गुजरात ही १.Oxford. p. 10 २. मजेस्मा., पृ. १६३ व ३२२। ३. Some Yogis went stark naked. because. as they sand. they hed come nakod into the world and desired nothing that was on this world. Morcovut hcy declarcd. "We have no sin of the Tash to be conscious of and hereforc. we are not ashamed of our nakedness any more than you You who are conscious of thc sins of the flesh do well to have shamc and to cover your nakedness. - Yulc's Morco Polo II. 360 & HAR1,2,364 X. Morco Polo also noticed the customs which the orthodox Jaina community of Gujarat maintains to the present day. They do not kill an animal on any account not even a lly or flea or a louse or anything in fact that has lifc: for they say. these have all souls and it would be sin la du sn. __ - Yule's Morer Poles. II 3606 & HARI. p. 365. दिगम्बात्व और दिगाबर मुनि (15)
SR No.090155
Book TitleDigambaratva Aur Digambar Muni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Sarvoday Tirth
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size4 MB
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