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वायु मंडल।
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स्वयं
वरुण मंडल ।
आकाश मंडल।
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स्वे स्वं
ॐहीं बह श्री जिन प्रभञ्जनाय कर्मभस्म विघूननं कुरु कुरु स्वाहा।
उपरका मंत्र बोल कर कर्म भस्म हुये बाद उसकी राख उड़ गई ऐसा विचार करना चाहिये और उक्त अग्निमंडल आदि पांचों यंत्रोंका मनमें ध्यान करना चाहिये।
अथ हस्त संघटनम् । करमध्ये लिखेद्यंत्रं काश्मीरादिसुमिश्रितैः । रविसोमसमुद्धार्य तन्मध्ये च स्वनाहतं ॥१॥
चन्द्रप्रभाऽनाहतयंत्रम् ।
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