________________
३४ ]
दि० जैन व्रतोद्यापन संग्रह |
तरफ संवं ह्नः पः हः लिखना चाहिये । फिर दोनों हाथ जोड़ मस्तक नमा कर हाथ माथे पर रख और पूर्वोक्त यंत्र से जल ले उक्त मंत्र बोल माथे पर छींटना चाहिये । अग्निमंडलमध्यस्थरे फैज्र्वाला शतांकुरैः । सर्वांगदेशगैर्विश्वग्धूयमानैर्नभस्वता ||
ॐ ह्रीं नमोऽर्हते भगवते जिन भास्करस्य बोध सहस्र किरणैर्ममकर्मेन्घनद्रव्यं शोषयामि घे घे स्वाहा । द्रव्य शोषणं ।
*
र र र र र र र र र र
卐
C'
Ch
"H
h
b
ct
b
CH
C
अहं
ई र र र र र र र
र्रर्रर्र
( अग्नि मंडल ) यह यंत्र पान पर लिख कपूर जलाना चाहिये ।
स्वस्तिकाग्रत्रिकोणांतर्गतरेकं शिखावृतं । अग्निमंडलमोंकारं गर्भरक्ताभमास्थितं ॥ सप्तधातुमयं देहं देहेन्द्रं प्रार्चिषां चयैः । सर्वाङ्गदेश गैर्विश्वग्धूयमानैर्नभस्वता ||
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रः ॐ ४ रं ४ हमुल्ब्यू जं २ सं २ दह २
h
ch
卐