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-२७० ] दि० जेन व्रतोद्यापन संग्रह । इक्ष्वाकारि चारि जिणगेह कुण्डलगिर,
चत्तारि जिणेसर पयकमलो ॥६॥ रुचकगिर च्यारि पिंडकथा,
चउसइ अट्ठावन जिणेसर० ॥७॥ व्यंतरमांहि असंख जिण,
जोइससंख विहीण जिणेसर० ॥८॥ सग्गि जिणदंह मणि भुवण',
लक्ख चउरासि होय जिणेसर० ॥९॥ लक्ख बहत्तरि सात कोडि,
भवनालय जिण संख जिणेसर० ॥१०॥ अधिक सत्ताणु सहस्स पुण,
तेवीसा सविजाण जिणेसर० ॥११॥ कैलास सत्रुजय गिर सिहरे,
सत्रुजय गिरनारि जिणेसर० ॥१२।। गोमट्टसामि आदीकरी,
किट्टिम सव चेइत्याल जिणेसर० ॥१३॥ अढाईय दीवहं भवियकथा,
जिण मन्दिरसु बिम्ब-जिणेसर० ॥१४॥ माणस खेतह माहिजिण,
मुणिवर जिरवाण भूमि जिणेसर० ॥१५॥ जन्दीसर पुहुपांजलि,
. जोइस भक्ति करेण जिणेसर० ॥१६॥