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२२४ ] दि० जैन व्रतोद्यापन संग्रह । दाहिण उत्तर कुरु परसरिया,
सीता सीतोदा सुइ मरिया । तिहां ॥५॥ हिमवद अज्जधरा परिसरीया,
णारी णरकांता दुह हरिया । तिहां ॥६॥ हिरणवदह वर खेत्त पसारा,
___ सुवणह रुचकुला जुय धारा । तिहां०॥७॥ एरावद पुणु खेत विशाल,
रत्ता रत्तोदा गुण माल । तिहां० ॥८॥ क्षेमकीर्तिसुरि पट्ठमुणिन्दा,
___ नरेन्दकीर्ति गुरु कुवलयचन्दा । तसपट पंकज सुर सोहाय,
विजयकीर्ति भट्टारक राय ॥९॥ तसपद पंकज भुंग कहाया,
नारायण यतिवर गुण गाया । जे नर पजें जिण समुदाया, ते नर अजर अमर पद पाया ॥१०॥
घत्ता । सिरिसरिय जिणन्दा कुवलयचन्दा,
इन्द नरिंद सुगुण कहिया । सूरि विजय मुणिंदा पापणिकन्दा,
सिस्स नरायण यति महिया ॥ ॐ ह्रीं गंगादिचतुर्दशनदीस्थितजिनेम्यो महाघ ।