________________
दि० जैन व्रतोद्यापन संग्रह |
अथ जयमाला ।
बहुश्रुतभावण कम्म विदावण मुक्तिलच्छी सुहमं परमं । पाव विमोक्खण भवजल सोक्खण धम्म विपोषण शिवचरण ॥ १ ॥ इह बहुश्रुत भावण भवह पार, इह बहुश्रुत भावण कम्म णास । इह बहुश्रुत भावण धम्म रास, इह बहुश्रुत भावण समय सार | २| इह बहुश्रुत भाषण विषय होय, इह बहुश्रुत भावण णमइ लोय । इह बहुश्रुत भावण सुकल जाण, इद्द बहुश्रुत भावण पञ्च णाण | ३ | इह बहुश्रुत भाषण कम्म डाह, इह बहुभूत भावण लाय माण । इह बहुश्रुत भावण अचल गण, इह बहुश्रुत भावण परम धम्म ||४ | इह बहुश्रुत भावण गलइ कम्म इह बहुश्रुत भाषण सफल जम्म । इह बहुश्रुत भावण मोक्ख मग्ग, इह बहुश्रुत भावण सुह सुमग्ग ॥ ५ ॥
घत्ता ।
इह बहुसुद भावण महसुह दावण, शिवसुख पावण गुण लहियं ।
सिरिभूषण महियं जिणवर कहिणं, बम्भणाण मुनि नामनयं ॥
ॐ ह्रीं बहुश्रुतभक्तये पूर्णा ।
[ १३७