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२१.
२५.
२८.
३०.
दया में हिंसा निषेध हिंसादिक तत्त्व
बिना छने पानी में हिंसा २२. छने पानी से लाभ २३. इसकी सम्मति २४. यज्ञोपवीत ग्रहण की योग्यता
सप्त व्यसन त्याग २६. जुआं से हानि २७, मांस सेवन से हानि
शराब से हानि २९. वेश्या के दोष
शिकार में दोष
चौर्य में दोष ३२. परस्त्री के दोष
उच्च विचार पाक्षिका का कर्तव्य निर्दयी-अज्ञानी की क्रिया
आवश्यक उपदेश ३७. चतुर्थ अध्याय का सारांश • पंचम अध्याय -
पृ. क्र. २०० से २३९|| नैष्ठिक श्रावक का कर्तव्य पहली प्रतिमा और पाक्षिक श्रावक में अन्तर
अणुव्रतों के नाम ४. प्रथम अणवतका लक्षण
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