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________________ ZUANG CASASAASABASABAṆAGAYAETEREMSA CASASALAR सुन लेना और सबके सामने प्रकट कर देना गोपित प्रकट अतिचार है I ३. न्यास द्रव्य अपहार - कोई कुछ द्रव्य रख जाय तो उसे धरोहर कहते हैं। यदि किसी ने किसी के पास धरोहर रूप ५०० रुपये रखे हैं। लेकिन कुछ दिनों पश्चात् रुपये रखने वाला ५०० रुपये रक्खें हैं भूलकर ४०० रूपये मांगता हैं। तो ठीक हैं आप अपने ४०० रुपये ले जाओ। ऐसी अवस्था में १०० रुपये अपहरण करने के लिए झूठ बोल उसे स्वीकार कर लिया यह न्यास द्रव्य अपहरण अतिचार हुआ। ४. मंत्र भेद - किसी अर्थवश प्रकरणवश, शरीर के अंग विकार वश या भृकुटी क्षेप आदि के कारण दूसरे के अभिप्राय को जानकर ईर्ष्याभाव से दूसरे के सामने प्रकट कर देना मंत्र भेद अतिचार है। · ५. कूट लेख - दूसरे ने न तो कुछ कहा हो और कुछ किया हो तो भी अन्य किसी की प्रेरणा से अर्थात् द्वेष के वशीभूत इसने ऐसा कहा है, ऐसा किया है इस प्रकार झूठे दस्तावेज आदि लिखना कूट लेख क्रिया नामका अतिचार है। यह पांचों सत्याणुव्रत के अतिचार हैं इनसे सत्य व्रत में दूषण लगता है अतः निरतिचार पालन करें ॥ ५ ॥ ५. न्यासापहारः परमंत्रभेदो मिथ्योपदेशः परकूट लेखः । प्रकाशना गुह्य विचेष्टितानां पंचातिचाराः कथिता द्वितीये ॥ अर्थ- सत्याणुव्रत के भी पाँच अतिचार हैं - १. न्यासापहार - किसी की धरोहर का हरण करना यथा भद्रमित्र के पाँच रत्न जो सत्यघोष के यहाँ यथाकाल के लिए रख दिये थे, मांगने पर कह दिया मेरे यहाँ नहीं रखे । २. परममंत्रभेद किसी की गुप्त: ਸੱਭ योजना को ज्ञात कर प्रकट करना। ३. मिथ्योपदेश आगम विरुद्ध तत्वोपदेश देना । ४. परकूट लेख - झूठे दस्तावेजादि लिखना और । ५. गुह्य विचेष्टा प्रकाशन पतिपत्नी आदि की गुप्त योजना ज्ञात कर प्रकट करना इन कार्यों से अपने ग्रहीत सत्याणुव्रत में दोष लगता है। अतः ये अतिचार कहलाते हैं ।। ५ ।। SCUTKAKAYABAUSCHCACACTCARDGALAGAZALA धर्मानन्द श्रावकाचार २९५ - - - PETEREASURE
SR No.090137
Book TitleDharmanand Shravakachar
Original Sutra AuthorMahavirkirti Acharya
AuthorVijayamati Mata
PublisherSakal Digambar Jain Samaj Udaipur
Publication Year
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Principle
File Size6 MB
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