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- पुण्यपापफलवर्णनम् - 37) सप्ततुङ्गतलभूमिराजिते चारुरत्नचयरोचिरञ्चिते ।
मूर्तपुण्य इव सत्सुधासिते धाम्नि धर्मनिलयाः समासते ॥ ३७ 38) कोलैः खातमृदन्नराशिनिचिता ताणी कुटी संकटा
वात्यामात्र वशा रुजां वशगतैबालः शकुन्मण्डिता। द्वारे ऽरंकुंवता खरेण रचिता वा वाङ्मयी पापिनो"
दृष्टा चेश्वरहHकार्यरतया सम्यक् कदाभार्यया ॥ ३८ 39) खाद्यं स्वाद्यं शुचिसुरभितं पानकं चापि लेह्य
भगैरेषामुपचितमलं भुञ्जते स्वादु भोज्यम् । स्वर्णादीनामिह सुकृतिनः स्थालकच्चीलकेषु
तेषां पुण्यैरमतमिव यंनिर्मितं सूपकारैः ॥३९ 40) व्यहोषितं तैलघृतत्रताश्रितं करे कृतं नीरसमप्यगोग्वम् ।
विधाय कर्माणि धनाढयमन्दिरे कदन्नमस्तै यदि भुजते परे ॥ ४० उनके अंगसे चूते हुये पसीने की जो नदियाँ निकलती हैं उनसे वेष्टित वे पर्वतों के समान प्रतीत होते हैं ॥३६॥
पूर्वोपाजित पुण्यके धारक पुरुष मूर्तिमान् पुण्य के समान होते हुये उत्तम चूने से धवल दिखनेवाले, सुन्दर रत्नसमूह की कान्तिसे युक्त, ऊँची सात तलभूमियों से शोभायमान महल में आनन्दसे निवास करते हैं ॥३७॥
इसके विपरीत घूसोंसे खोदी गयी मिट्टीरूप अन्न की राशि से व्याप्त, संकुचित, झंझावातसे परी हुई रोग के वशीभूत हुये-रोगी-बालकों के साथ मलसे मण्डित और द्वार पर शब्द करनेवाले गधे के द्वारा रची गयी कर्कश ध्वनिसे परिपूर्ण; ऐसी पापीकी घाससे निर्मित झोंपडी ईश्वर के गृहकार्य में निरत कुत्सित स्त्री के द्वारा देखी जाती है ॥३८॥
पुण्यशाली जन उन के पुण्यसे जिसे रसोइयोंने अमृतके समान निर्मित किया है ऐसे खाद्य, स्वाद्य, पवित्र और सुगंधित पानक और लेह्य-चाटने योग्य-इन चार भेदरूप मधुर भोजन का उपभोग सुवर्ण, चाँदी आदिकी थाली तथा कच्चोलक (प्याला) आदि पात्रों में किया करते हैं।।३९।।
जो पापी हैं वे धनाढयों के घर पर अनेक कार्यों को करके तीन दिनके बासे तथा तेल arrrrrrrrrrrrrrror
३७) 1 D रञ्जिते. 2 गृहे. 3 धर्मसंयुक्ता: 4 तिष्ठन्ति । ३८) 1 घूसविशेषैः 2 तृणमयी जीर्णा प्रूपडिका. 3 वधूतै. [वातधू लि:] (?) वातमण्डल : तस्य वशा. D'वात्यानात्र. 4 गूथेन मण्डिता. 5 शब्दायमा. नेन. 6 पापयुक्तपुरुषस्य. 7 सा तृणचिता कुटी स्वकीयतया पापिनो भार्यया परगृहे कार्यरतया कदाचिदागत्य दष्टा. 8. कुत्सिता भार्या कदाभार्या । ३९) 1 विकारैः वा उद्वर्तनविशेषैः . 2 परिपूर्णम. 3 सुकृतीनाम . 4 भोजनम । ४०) 1 त्रिदिनकृतमन्नं तैलतादिरहितं रूक्षमन्नमित्यर्थः . 2 कृत्वा. 3 कुत्सितमन्नम.4 दिनान्ते. 5 पापिजनाः।