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विषय
मृत्यु की अलंघनीयता
संसार की ता
आस्रव
संवर
कर्मनिर्जरा
रत्नत्रयकी प्राप्ति के लिये प्रयत्न करना
धर्म के विषय में प्रयत्न करना
धर्म ध्यान के प्रकार
सल्लेखना का फल
२०. उक्तानुक्तशेष विशेष सूचक
अवसर का विषय
अंगप्रविष्ट और प्रकीर्णक श्रुत
आत्मवान् पुरुष के गुण
तत्त्वज्ञान में बाधक दोष
संशय का परिणाम
धार्मिकों का अवमान न करना
गृहस्थों के छह कार्य
देवसेवा का अभिप्राय
गुरु की उपासना
स्वाध्याय
प्रथमानुयोग
चरणानुयोग
द्रव्यानुयोग
जीवस्थान आदिके प्रकार
विषयसूची
तप
संयम
व्रतधारण
दुष्ट व्यवहार का त्याग
समितिपालन
कषायों का स्वरूप व परिणाम
कषायों के उपशम का साधन
देवों के देव की शरण में जाना इन्द्रियविषयक असंयम
व्रती श्रावक का कार्य वैराग्य आदि का स्वरूप
श्लोकाक
३८* १
३९-४२, ४६
४३
४४
४५
४७
४८
४९
५०
१
२
२* १
२*२
३
४-४* १
४* २
४*३
४*४-५
४*६
४*७
४*८-९
४* १०
४*११
४*१२-१३
५
६
७
८
८* १ - १३
१४ - १५
१६
१७-१८
१८* १
१८०१
५३