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________________ ५२ विषय कषायों से संतप्त होकर मरने से आत्मघात सल्लेखना से अहिंसा मरण के समय मन मलिन होने से सब अनुष्ठान व्यर्थ सल्लेखना के अभाव में व्रत व्यर्थ सब कुछ छोड़ देना मृत्यु की तीर्थरूपता अनशन बडा तप समाधि से सर्वसिद्धि सल्लेखना की हानि के अतिचार बालपण्डित का मरण सल्लेखना से लोकमान्य पद मुनियों और गृहस्यों की सल्लेखना समान क्षुधापरीषहजय तृषापरीषहजय शीत परीषहजय उष्णपरीषहजय दंशादिपरीष हजय नग्नतापरीष हजय रतिपरी हजय स्त्रीपरीषहजय चर्यापरीषहजय निषद्यापरीषहजय शय्या परीष हजय क्रोधपरीषहजय वध परीष हजय याचनापरीषहजय अलाभपरीषहजय रोगपरीष हजय तृणस्पर्शपरीषहजय मलपरीष हजय सत्कारपरीषहज प्रज्ञापरीषहजय अज्ञानपरीषहजय - धर्म रत्नाकरः अदर्शन परीषहजय परीषहजय का फल संसार की नश्वरता श्लोका क ११*७ ११*८ ११*९ ११* १० ११*१२ - १३ १२ १२१ १२*२-४ १२*५ १२६ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
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