SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय सज्जन प्रियभाषी होते हैं उपसंहार सत्यासत्य के परिणामों के उदाहरण सत्यभाषी की प्रशंसा १३. अस्तेयादि व्रतों का विचार चोरी और उसका फल चोरी और हिंसा एकरूप चौर्यत्याग का उपदेश न्यायप्राप्त धन का ग्रहण करना लावारिस धन का अधिकारी राजा अचौर्यव्रत का फल अचौर्यव्रत के अतिचार चोरी का फल - उदाहरण अचौर्यव्रत का फल - उदाहरण अब्रह्म और उसका फल मैथुन से हिंसा स्त्रीसे विरक्त रहना असमय में स्वस्त्री का भी सेवन न करना परस्त्रीसेवन का त्याग कामोद्दीपक भोजन का त्याग संसार के भोगों का त्याग ब्रह्म का फल कामविकार का परिणाम अनासक्तिपूर्वक काम सेवन करना ब्रह्मचर्यव्रत के अतिचार काम से उत्पन्न होनेवाला गण ब्रह्मचर्यव्रत के भेद विषयसूची अब्रह्मफल- उदाहरण अब्रह्मविरति अब्रह्मविरति का फल परिग्रह और उसके भेद परिग्रह का धारण हिंसा है मिथ्यात्व के साथ कषायों का त्याग अन्तर्बाह्य परिग्रहों का त्याग दूसरों का धन खरीद लेना श्लोकाङक ४९ ५० ५१ ५२ सी..... १*२ - १*३ २-४*१, १० ८-९ १०*१ १०*२ ११ - १२ १३-१४ १५ १६ १६१ १६*२ १७ १८ १८* १ १८२ १९ २० - २२ २३ २३*१ - २४ २४१ - २५ २५-२५६ २५*७-८ २५*९ - २६ २७ ४५.
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy