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________________ विषय सम्यग्दर्शन के दोष मिथ्यात्व और उसके भेद ऐकान्तिक मिथ्यात्व सांशयिक मिथ्यात्व मूढ मिथ्यात्व व्युद्माहित मिथ्यात्व वैनयिक मिथ्यात्व अगृहीत मिथ्यात्व विषयसूची ग्राहित मिथ्यात्व मिथ्यात्व के वश लोगों के उदाहरण प्रकारान्तर से मिथ्यात्वभेद मिथ्यात्व का परिणाम १०. सम्यक्त्वाङ्ग का निरूपण सम्यग्दर्शन की प्रशंसा सम्यग्दर्शनप्राप्ति के योग्य जीव सम्यग्दर्शन के भेद सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति में कारण गुरु बहिरङग और अन्तरङग कारण सम्यग्दर्शन का ज्ञान प्रशमादि गुण सम्यक्त्व से मुक्ति को प्राप्त लोगों के उदाहरण सम्यग्दर्शन से मुक्ति मिः शङ्कितत्व अभयशकित अशविकत निःशकितत्व का उदाहरण शकित को फलप्राप्ति नहीं शकित और निःशङ्क का उदाहरण सम्यग्दृष्टि की नि:कांक्षा निःकांक्षित सम्यग्दृष्टित्व का फल और उदाहरण कांक्षा से नरकदुःख उदाहरण अज्ञानी जनों से जिनोपदिष्ट तपश्चरण में दोषदर्शन आशका का उत्तर श्लोकाङक ६९* १ ७०-७१ ७२-७३ ७४-७५#१ ७६ ७७ ७८ ७९ ८० ८१-८४, ८६ ८४०३ ८५, ८७ १ २ ३-१७, २०, २१*५-२३ १८-१९ १९*१-२ २१ २१*१-४ २४ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ ३३-३४ ३५-३६ * ३७ ३८-३९ ४०-४२१ ४३ - ४३६
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
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