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विषय
पात्र तथा अपात्र को भी दान देना
पात्र की व्याख्या
निर्मलबुद्धि के गुण
पापी लोगों के दोष
दान ही प्रथम व्रत
दान का निषेध
फल की अपेक्षा से दान न देना
विषयसूची
जिनागम में सूत्र की योजना
दान के अभाव से साधुओं का नाश
६. ज्ञानदान का फल
ज्ञानदान धर्मसिद्धि का कारण
ज्ञान से प्रवृत्ति तथा निवृत्ति
ज्ञानदान से पुरुषार्थदान
ज्ञान से करुणा
धर्म सुखसिद्धिका निमित्त
ज्ञानदान से सुखदान
कारण में कार्य का उपचार
ज्ञान संपत्तिदायक
ज्ञानदान से इह-परलोकसंबंधी उपकार
ज्ञान मुक्ति का कारण
ज्ञान से कर्मों का नाश
ज्ञानदाता श्रेष्ठ परोपकारी
ज्ञान की श्रेष्ठता
जिनवाणी का श्रवण कल्याणकारक ज्ञानदृष्टि का महत्व
शास्त्रज्ञानशून्य मनुष्य पशु के समान शास्त्रज्ञानी की श्रेष्ठता
ज्ञान से अभव्यसेन आदि की श्रेष्ठता आत्मोन्नति के लिये श्रुतग्रहण करना चाहिये
उपदेशग्रहण की रीती
ज्ञानदान की रीती
गुरूपकार की असामान्यता
आगम का सुनना और सुनाना लाभदायक
सम्यग्दर्शन और चारित्र का ज्ञान में अन्तर्भाव
ज्ञानदान का फल
श्लोकाक
११३ - ११४
११५-११८
१२०
.१२१
१२२
१२३ - १२४
१२५
१२६-१२९
१.१६
२
३
५
७
८,३०
९
१०-१३
११-१२, १८
१४- १५.५०
१७-१९२२-२४, ३५,५२
२०-२१ २५-२६
२७
२८-१९ ३१-३४
३६
३७-४४
४५-४६
४७-४८
३७.
४९
५१
५३