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विषय
संघ की भक्ति का फल
संघ को दिये हुए दान का फल
विभाग की पूजा से भी समस्त संघपूजा का फल मुनियों को दिया दान मुक्ति का कारण मुनियों की प्रशंसा
स्वाध्याय का महत्व ज्ञानी साधु सम्यग्दर्शन के भेद
सम्यदृष्टि साधुओं की पूज्यता
सम्यग्दर्शन मोक्ष का कारण
धर्मरत्नाकरः -
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साधुओं की पूजा, स्तुति और वन्दन करना साधुओं के अभाव से धर्म
पुण्योदय से उत्तम वस्तुओं की प्राप्ति
पात्र के प्रकार
सत्पात्र की दुर्लभता
साधु
की योग्यता
की श्रेष्ठता
सम्यग्दर्शन का महत्व सम्यग्दर्शन में स्थिर मुनि की श्रेष्ठता दुखमा काल में साधुओं के चारित्र में दोष
सम्यग्दर्शन के द्वेषी को नरकगति
गुणहीन साधु को भी पूज्य मानना साधुपूजा का फल
श्लोकाङक
मुनिराज पुण्यवानों के ही घर आते हैं अहिंसादिमहाव्रतधारक मुनियों की प्रशंसा सत्पात्र मुनियों की दुर्लभता पात्रादि की प्राप्ति पूर्वपुण्य से
पात्रादि की प्राप्ति होनेपर विलंब न करना
दान और उपभोग के अभाव में धन का नाश
दान से धन का अविनाशित्व
मोह का प्रभाव
७-८
९-११
१२
१३
१४-१६, २०-२५
१७-१९, २७-२८, ३२
२६
२९-३०
३१
३३ - ३५, ३७
३६, ३८
३९
४०-४२
४२# १
४३
४४
४५
४६-४७
४८-५०
५१-५२
५३
५४ - ५५, १०३
साधुपूजा न करने का परिणाम
५६
आहारादिदान में पात्रापात्र परीक्षा करना अनुचित
५७-५८
साधुदर्शन से प्रमुदित न होने का परिणाम
५९
प्रमुदित होने का फल
६०
साधर्मिक जन के प्रति अनुराग ही सम्यग्दर्शन का प्राण ६१
सम्यग्दृष्टि मनुष्यकी प्रशंसा
६२-६३
६४-६९
७०-७७
७८-७९
८० - ८१
८२
८३
८४-८५
८६-८७