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विषयसूची
श्लोकाङक
विषय
१-३
९, २२, ३६, १०-१२, १६-१८, २०, ३३, १३-१५, १९, २१, ३४, ३५ २३, २७-२९
२४
.१. पुण्यपापफलवर्णन श्रीजिन धर्म, सरस्वती और मुनियोंकी स्तुति धर्म की प्रशंसा जैनधर्म की ग्राह्यता धर्म से श्रीतीर्थकर आदि की श्रेष्ठता अधर्म का परिणाम धर्म और अधर्म का भला-बुरा परिणाम धर्म का फल धर्म से सुन्दर स्त्रीप्राप्ति पाप से मत्सर की उत्पत्ति धर्म से दीर्घायुष्य और नीरोगता अधर्म से दुष्टस्त्रीप्राप्ति धर्म से कीर्ति बाहुबली आदिओं का धर्म से जय धर्म से उत्तम निवास अधर्म से कुत्सित झोंपडी धर्म से उत्तम अन्न अधर्म से कदन्न धर्म से ताम्बूलप्राप्ति अधर्म से ताम्बल का अभाव धर्म से रत्नप्राप्ति धर्महीन मनुष्य शंकर के समान पुण्यवान् लोगों को वस्त्रभूषादिप्राप्ति पापी लोगों को मलिन वस्त्र पुण्यात्मा को तैलयुक्त स्नानादि की प्राप्ति पुण्यहीन लोगों को अभ्यंग के लिये अश्रुपातादि शीतकालादि के द्वारा पुण्यवान् की पूजा पापी जन सब ऋतुओं में दुःखभागी सब ग्रह धर्म से प्रभावशाली इन्द्र धर्म के प्रभाव से सुखी सर्वार्थसिद्धि के देव धर्म से सुखी धर्म से मोक्षप्राप्ति
४९-५१