SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 381
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -१५. ५८] - सामायिकप्रतिमाप्रपञ्चनम्1248) नित्योदिताव्याहतनिःप्रकम्पविस्फारितानन्तचतुष्करूपः । सध्यानपीयूषरसातितृप्तिलोभीभवच्चिन्मह एच वीक्षे ॥ ५५ 1249 ) समवसरणलक्ष्म्या प्रातिहार्यैः समग्रै विलसदतिशयैर्वा सेव्यपादाब्जपीठाः । जिनपतय इतीत्थं चिन्तनीया जपान्ते ज्वलदमलचिदर्था रूपिणो वा कृतार्थाः ॥ ५६ 1250 ) आरात्रिकेण यायज्मि जगन्मुकुरताप्तये । अक्षतैरक्षतज्योतिर्भरसिद्धयै निरन्तरम् ॥ ५७ 1251) ता द्रव्यजातोपनतीः' समर्प्य ददामि भावोपनतीः समग्राः। चिज्ज्योतिरादर्शफलत्रिलोके तावद्धि यावज्जिन एव लीये ॥५८ । कुलकम ___ सदा उदय को प्राप्त, निर्बाध, स्थिर एवं विकास को प्राप्त हुए अनन्त चतुष्टयस्वरूप मैं समीचीन ध्यानरूप अमृतरस की तृप्ति का लोभी हो कर चैतन्यरूप तेज - ज्योति. को ही देखता हूँ ॥ ५५ ॥ जप के अन्त में उन जिनेन्द्रों का इस प्रकार से चिन्तन करना चाहिये कि उनका पादपीठ – पाँव रखनेका आसन - समवसरण लक्ष्मी, समस्त (आठ प्रातिहार्यों और प्रकाशमान अतिशयों से आराधनीय हैं। वे जिनेन्द्र प्रकाशमान, निर्मल चैतन्यरूप अर्थ से सहित, कथंचित् रूपी और कृतकृत्य हैं ॥ ५६ ॥ मैं लोक को प्रतिबिम्बित करने के लिये दर्पण के स्वरूप - केवल ज्ञान - को प्राप्त करने के लिये आरती से और अखण्ड ज्योति को पूर्णतया सिद्ध करने के लिये निरन्तर अक्षतों से पूजा करता हूँ ॥ ५७ ॥ मैं उदकादि अष्ट द्रव्यों के साथ हाथ जोडना, वचनों से स्तुति करना आदिक उपनतियों को द्रव्यपूजाओं को प्रभुचरण में समर्पण करता हूँ । और संपूर्ण भावपूजाओं को ग्रहण करता हूँ । अर्थात् जिन प्रभु के अनन्त गुणों को मैं मेरे हृदय में आराध्य समझकर धारण करता हूँ। जिन के चैतन्य ज्योतिरूप दर्पण में अर्थात केवल ज्ञानरूपी दर्पण में त्रैलोक्य प्रतिबिंबित हो रहा है ऐसे जिनेश्वर में ही मैं लीन होता हूँ ॥ ५८ ॥ ५५) 1 PD वीक्ष्ये । ५७) 1 PD°याजग्मि° पूजयामि D गन्तुमिच्छामि । ५८) 1 D पूजाद्रव्यसामग्री समयं दत्त्वा।
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy