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________________ - धर्मरलाकरः [१४. ३०1160) एतस्मात्कोटिशो दोषानवसाय गुणानपि । प्रवृत्तानां निवृत्तानां निवृत्तिः श्रेयसी ततः ॥ ३० 1161) अनर्थदण्डनिर्मोक्षादवश्यं देशतो यतः। सुहृत्तां सर्वभूतेषु स्वामित्वं च प्रपद्यते ॥३१ 1162 ) स्थावरत्रसविघातिकर्मणो वर्जनं हि परतो यतो सदा । अस्ति पूर्व वदतो महाव्रतं भावतो भगवतो ऽप्युदीरितम् ॥ ३२ 1163) अनुकूलयन्ति मुक्तिं दयां च विस्फारयन्त्यमलयन्ति । यस्मान्निजस्वरूपं गुणवतत्वं ततो ऽमीषाम् ॥ ३३ 1164) गुणवतोपास्तिरतः कृतं स्यात् समग्र दुर्वारकषायमान्यम् । देवैरिवानुत्तरजैः सभास्थैस्तीर्थेशिनामेषि च भोगभूमैः ॥ ३४ अनर्थदण्ड में प्रवृत्त हुए प्राणियों के करोडर्डी दोषों का और इस से निवृत्त हुए प्राणियों के करोडों गुणों का निश्चय कर के उस अनर्थदण्ड से निवृत्त होना श्रेयस्कर है ॥ ३० ॥ अर्थदण्डव्रती सर्व प्राणियोंका स्वामी है हिंसादिक पाँच पापों का स्थूल रूप से परित्याग कर के अहिंसादि पाँच अणुव्रतों के पालन में तत्पर रहने वाला देशयति श्रावक उस अनर्थदण्ड का त्याग करने से सर्व प्राणियों के साथ मित्रता तथा स्वामिपने को प्राप्त होता है ॥ ३१ ॥ अनर्थदण्डविरत को महाव्रतीपना अनर्थदण्डव्रती श्रावक चूंकि सीमा के परे-स्थावर और त्रस जीवों का घात करने वाले कार्य से सदा विरत रहता है। अतः उसके पूर्व के समान भाव से महाव्रत होता है, ऐसा जिनेश्वर ने कहा है ॥ ३२ ॥ उपर्युक्त दिग्वत, देशव्रत, और अनर्थदण्ड व्रत चूंकि मुक्ति को अनुकूल करते हैं - उसे उत्कंठित कराते हैं. दया को वृद्धि गत करते हैं, तथा आत्मस्वरूप को निर्मल करते हैं, इसीलिये इन के गुणवतपना है - उनका गुणव्रत यह सार्थक नाम है ॥ ३३ ॥ जिस प्रकार विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित और सर्वार्थ सिद्धि इन पाँच अनुत्तर विमानों में रहने वाले देव, तीर्थंकरों की सभा में - समवसरण में – स्थित भव्य जीव प्राण. rrrrrrrrrrrrrrrrr ३०) 1 ज्ञात्वा । ३१) 1 मैत्रीम्. 2 प्राप्यते । ३४) 1 यथा अहमिन्द्रदेवः सर्वज्ञसमास्थितपुरुषे; भोगभूमिजैनरैर्दुरिकषायचक्र मान्धं कृतं स्यात् तथा गुणव्रतधारकैः पुरुषैः कषायचक्रं मान्यं कृतं स्यात् इत्यय।। 2 D° मेपि. 3 जैः।
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
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