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________________ - १३.४१ ] - अस्तेयब्रह्मपरिग्रहविरतिव्रतविचारः - 1110 ) एकं द्वे त्रीणि तथा चत्वारि च पञ्च पालयन् प्रतिमाम् । अत्येति न व्रताख्यां तत्रैव तु तारतम्यमुपयाति ।। ३९ ...... 1111 ) अपेक्ष्य बहुधा नरान् परिणति तदीयांस्तथा विधेय मध्यवसरं च देशं सदा । असंख्यमुपजायते व्रतमिदं हि संख्या त्वियं विमुग्धजनबोधनप्रसर हेतु राख्यायि दिक् ॥ ४० 1112 ) तरणिकिरणैर्ध्वान्तालीढं यथैव नभस्तलं कुशलरचितैर्मातप्रायैर्यथा कनकोपलः । गलितस कलाती चारौघैर्भवार्णवशोषिणीं व्रजति नितरामात्मा शुद्धि व्रतैरिम कैस्तथा ॥ ४१ इति धर्मरत्नाकरे द्वितीय प्रतिमान्तर्गतास्तेयब्रह्मपरिग्रहविरतिव्रतविचारस्त्रयोदशो ऽवसरः ।। १३ ।। २८३ व्रत प्रतिमा का अनुसरण एक, दो, तीन, चार और पाँच अणुव्रतों को पालनेवाला श्रावक व्रत नाम की दूसरी प्रतिमा का उल्लंघन नहीं करता है- व्रत प्रतिमाधारी ही माना जाता है, वह वहीं पर ( व्रत में) तारतम्य भाव को प्राप्त होता है ॥ ३९ ॥ प्रायः मनुष्यों व उनके व्रतपालन के योग्य परिणामोंकी अपेक्षा से तथा पालन करने योग्य अनुष्ठान, काल और देश की अपेक्षा से उस व्रतके असंख्यात भेद हो सकतें हैं । फिर भी यहाँ यह ( २५९२० ) जो संख्या निर्दिष्ट की गई है वह मूढ जनों को उसका विशेष परिज्ञान करानेके लिये निर्दिष्ट की गई है। उनके लिये यह दिशा-दर्शन मात्र है ॥ ४० ॥ जिस प्रकार सूर्य किरणों के द्वारा अन्धकार से अस्पृष्ट आकाश अतिशय निर्मलता प्राप्त होता है तथा जिस प्रकार निपुण सुनारों द्वारा किये गये अग्निसंयोग समूहों से सुवर्णपाषाण अतिशय निर्मलता को प्राप्त होता है उसी प्रकार समस्त अतिचारसमूहों से रहित इन व्रतों के द्वारा आत्मा भी संसाररूप समुद्र को सुखानेवाली अतिशय विशुद्धि को प्राप्त होता है ॥ ४१ ॥ इस प्रकार धर्मरत्नाकर में द्वितीय प्रतिमान्तर्गत अचौर्यव्रत, ब्रह्मचर्याणुव्रत और परिग्रहविरतिव्रतों का विचार करनेवाला तेरहवाँ अवसर समाप्त हुआ ॥ १३ ॥ wwwww ३९) 1 D आर्त रौद्रध्यान । ४० ) 1D व्रतस्य संख्याकृतं । ४१ ) 1 सूर्य 2 अन्धकारव्याप्तम्. 3 धवणफूकणक्रियाभि:. 4 D यथा उपलो काञ्चनं. 5 समूहैः 6 D धम्यमानैः ।
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
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