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- १२.३८ ]
- अहिंसा सत्यव्रतविचारः -
1016 ) सत्यासत्याप्युभयी सानुभयी' 'स्याच्चतुर्विधा वाणी । fing तृतीया योग्या सत्यव्रतधारिणां गृहिणाम् ॥ ३५
1017 ) आद्यं तथान्त्यमिति च द्वितयं जनानां क्षेमंकरं भवति तत्किल तीर्थभतुंः । यक्षादिसंभवि च तद्वयवहारिदूरं प्रायो मयेत्यभिहितं न विशेषयोगात् ॥
1018 ) एषु चतुर्षु भेदेषु यत्सत्यं दशधा हि तत् । देशादिभेदतः प्रोचूरन्यत्र गदितं यथा ॥ ३७
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1019 ) देशसंमतिनिक्षेपेनामरूपप्रतीतितः । संभावनोपमाने च व्यवहारो भाव इत्यपि ॥ ३८
की विशेषता से रहित ( अथवा घृणित ) और धृष्टतायुक्त वचनको नहीं बोलना चाहिये । किन्तु उसे कुलीन जनों को रमणीय प्रतिभासित होनेवाले ऐसे हितकारक व परिमित वचन को बोलना चाहिये जो कि समीचीन व्यवहार करने वाले सत्पुरुषों को अभीष्ट हो ॥ ३४ ॥
सत्य, असत्य, उभय और अनुभय इस प्रकार से भी वचन के चारा भेद होते हैं परन्तु इनमें सत्याणुव्रतधारी श्रावकों को तीसरा वचन ( उभय ) बोलना योग्य है ॥ ३५ ॥
उपर्युक्त चार प्रकार के वचन में प्रथम (सत्य) और अन्तिम ( अनुभ्भय) यह दो प्रकारका वचन प्राणियों के लिये हितकर है, और वह तीर्थकर जिनेन्द्र के हुआ करता है । व्यवहारी जनों से दूर - वह अनुभय वचन - द्वीन्द्रियादि जीवों के भी हुआ करता है । मैंने उसे प्रायः विशेषता के संबंध से नहीं कहा है ॥ ३६ ॥
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इन चार प्रकार के वचनों में जो सत्य वचन है वह देश आदि के भेद से दश प्रकार का हैं । उसका जैसे अन्य ग्रन्थों में वर्णन किया गया है तदनुसार यहाँ कथन किया जाता है || ३७॥ देशसत्य, संगतिसत्य, निक्षेपसत्य, नामसत्य, रूपसत्य, प्रतीतिसत्य, संभावनासत्य, उपमानसत्य, व्यवहारसत्य और भावसत्य; इस प्रकार सत्य वचन के दस भेद माने गये हैं । १) देश - सत्य - भिन्न भिन्न देश में वस्तु के जो भिन्न भिन्न नाम रहते हैं, जैसे भातको किसी देशमें चोरू कहते हैं २ ) संमतिसत्य - राजा की अभिषिक्त पत्नी को देवी कहना संमतिसत्य हैं । ३ ) निक्षेप सत्य - पाषाण की प्रतिमा में चन्द्रप्रभादिक का संकल्प करना । ४ ) नामसत्य - किसी मनुष्य का नाम चार भुजाओं के न होने पर भी चतुर्भुज रखना इत्यादि । ५) रूप - सत्य-अधरोष्ठ के लाल व बालों के कृष्ण वर्ण आदि होनेपर भी किसी को श्वेत ( गोरा )
३५) 1 D सत्यासत्यताभ्यां रहिता अनुभयी कथ्यते 2D भवेत्. 3 PD सत्यासत्या । ३६) 1 PD° जनाभ्यां, लोकाभ्याम् 2 तीर्थकरस्य 3D सत्यासत्यरम्या इन्द्रियज्ञानेन न ज्ञायते अनुभयवाणी । ३८) 1 D स्थापना. 2 D सत्य. 3 व्यवहारे ।