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________________ - धर्मरत्नाकरः [१०.४३विश्वस्मिस्तीर्थतोयोन्यशुचितनुमलव्याप्तदेहान्यशेष तैः शुद्धिस्तानि पीत्वा पुनरपि शुचिता तैरहो इन्द्रजालम् । स्नेहं स्नेह्यं हि गौल्यं गुडमपि लवणं स्वादु वाञ्छन्ति कतुं तेनैव प्राप्तमित्थं जनचरितमिदं निर्विचारं सुरम्यम् ॥ ४३ 776) यदेवागमशुद्धं स्यादद्भिः शोध्यं तदेव हि । अगुलौ सर्पदष्टायां न हि नासा निकृत्यते ॥ ४३*१ 777) निष्यन्दादिविधौ वक्त्रे यद्यपूतत्वमिष्यते । तर्हि वक्त्रापवित्रत्वे शौचं नारभ्यते कुतः ॥ ४३*२ 778) स्वस्यान्यस्यं च कायो ऽयं बहिश्छायाँमनोहरः । अन्तर्विचार्यमाणः स्यादौदुम्बरफलोपमः ॥ ४३*३ इस जगत में तीर्थों का पानी पूर्ण रूप से अपवित्र शरीरों के मैल से व्याप्त होता है, फिर भी उस पानी से शरीर की शुद्धि होती है तथा उसको पीकर उससे पवित्रता प्राप्त होती है, ऐसा मानना इन्द्रजाल है । लोग स्नेह को तेल व घी आदि स्निग्ध पदार्थों को पुन: स्निग्ध करना चाहते हैं, गुड को पुनः अधिक स्वादु मिष्ट करना चाहते हैं तथा नमक को स्वादिष्ट बनाना चाहते हैं । इससे ऐसा निष्कर्ष निकला कि यह लोकचरित विना विचार के ही अतिशय रमणीय है। (विचार करने पर यह रमणीय संभव नहीं है) ।। ४३ ॥ जो आगम से शुद्ध हो उसे ही जल से शुद्ध करना योग्य है । उदाहरणार्थ सर्प के द्वारा अंगुली के काटे जाने पर बुद्धिमान मनुष्य उसी अंगुली को काटा करते हैं न कि नासिका को ॥४३११॥ ____ मुंह से लार आदि गिरनेपर यदि उस में अपवित्रता मानी जाती है तो उस मुख के अपवित्र होने पर शौच-स्नान-क्यों नहीं किया जाता है ? अर्थात मुख के अपवित्र होनेपर उसकी ही शुद्धि की जाती है, न सर्वांग स्नान ॥४३* २॥ अपना और दुसरे का भी यह शरीर बाह्य कान्ति से मनोहर दिखता है। यदि इसके भीतरी भाग का विचार किया जाय तो यह ऊमर फल के समान बाहिर से सुंदर पर भीतर कीडों से व्याप्त होकर घृणास्पद ही दिखेगा ॥४३* ३॥ ... ४३) 1 जलानि. 2 D तीर्थतोयानि. 3D मधुर गुडं लवणं कथयन्ति । ४३*१) 1 D तोयः.2 नासिका. 3 छिद्यते । ४३*२) 1D वातसरणादि अवसरे. 2 D पुरुषः। ४३*३) 1 स्वस्य आत्मीयः.2 अन्यस्य परस्य 3P°बहिश्छायमनोहर: 4D उंबरफलसमानाः ।
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
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