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________________ -६. १२1 - ज्ञानदानफलम् - 428) लोकद्वये ऽभिलषता विपुलोपकारं दातव्यमेतदनिशं करुणापरेण । ज्ञानात्परं न परमस्ति परोपकार संपादकं सपदि संपदमादधानम् ॥ ८ 429) ज्ञेयं ज्ञात्वा ज्ञानतो ज्ञानवन्तो हेयं हित्वा पूजनीया जनानाम् । संजायन्ते ऽत्रैव जन्मन्यकृच्छ्रे पापभ्रंशादन्यजन्मन्यवश्यम् ॥ ९ 430) कल्याणकलाकारणं ज्ञानं सर्वविपत्तिवारणम् । मिथ्यात्वादिविरोधि साधनं सिद्धः सिद्धं साधु साधनम् ॥१० 431) यथैधासि समिद्धो ऽग्निर्भस्मसात्कुरुते क्षणात् । ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा ॥ ११ 432) अज्ञानी यत्कर्म क्षपयति बहुकोटिभिः प्राणी । __तज्ज्ञानी गुप्तात्मा क्षपयत्युच्छ्वासमात्रेण ॥ १२ इस लोक और परलोक दोनों ही लोकों में विपुल परोपकार करने की अभिलाषा करनेवाले दयालु मनुष्य को निरन्तर इस ज्ञानका दान करना चाहिये । कारण यह कि लोक में उस ज्ञान को छोडकर और दूसरा कोई परोपकार का साधन नहीं है । वह ज्ञान शीघ्र सम्पत्ति देनेवाला है ॥८॥ प्राणी ज्ञान से ज्ञेय को- प्रयोजनीभूत जीवादि तत्त्वों को – जानकर ज्ञानवान् होते हुए हेय का- मिथ्यात्वादि दुर्भावों का- परित्याग कर देने से समस्त जनों के पूज्य हो जाते हैं। यह ज्ञानदानकृत इस लोकसंबंधी उपकार हुआ। तथा पर भव में पाप का विनाश करने से वे अवश्य ही सुख को प्राप्त करते हैं ॥ ९ ॥ वह ज्ञान कल्याण समूह का कारण, समस्त आपत्तियों का निवारक, मिथ्यात्व व अविरति आदिका विरोधी कारण - उनका विनाशक - और मुक्ति का प्रमाणसिद्ध निर्दोष उपाय है ॥ १०॥ जिस प्रकार प्रज्वलित अग्नि इन्धन को - लकड़ियों को - क्षणभर में जलाकर भस्म करती है उसी प्रकार ज्ञानरूप अग्नि सर्व ज्ञानावरणादि कर्मों को क्षणभर में जलाकर भस्म कर देती है ॥ ११॥ अज्ञानी प्राणी जिस कर्म का अनेक कोटि वर्षों में क्षय करता है, उसका क्षय ज्ञानी जीव पाप से आत्माका संरक्षण करता हुआ उच्छ्वास मात्र काल में कर देता है ॥ १२ ॥ ८) 1 ज्ञानम्. 2 D अनवतं. 3 द्वितीयम् 4 D शीघ्रम् . 5 धारकम् । ९ ) 1 कृच्छ्र रहितं. D कष्टरहितम् । १०)1 D समूह. 2 D कारणाय. 3 PD मण्डनम् । ११)1 इन्धनानि. D काष्ठसमूहानि । १२)1 D °बहुजन्मकोटि. 20 जीवः।
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
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