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________________ ७० - धर्मरत्नाकरः - [४.५६238) कालोचितं साधुजनं त्यजन्तो मार्गन्ति ये ऽन्यं कुधियः सुसाधुम् । ते दातृपात्रद्वितयाद्विहीना यास्यन्ति दुर्योनिषु दुर्दुरूढाः ॥५६ 239) ग्रासादिमात्रदाने ऽपि पात्रापात्रपरीक्षणम् । क्षुद्राः कुर्वन्ति ये केचित् न तत् स्याच्छिष्टलक्षणम् ॥५७ 240) गेहे समागते साधौ भेषजादिसमीहया । ___ अवज्ञा क्रियते यत्तत् पातकं किमतः परम् ॥ ५८ 241) अन्यत्रापि सधर्मचारिणि जने मान्य विशेषान्मुनौ दष्टे साधु निधौ निधावनिधने बन्धाविवातिप्रिये । यस्योल्लासविकासहाससुभगे स्यातां न नेत्रानने दूरे तस्य जिनो वचो ऽपि हृदये जैनं न संतिष्ठते ॥५९ 242) विलोक्य साधुलोकं यो विकासितविलोचनः । अमन्दानन्दसंदोहः स्यात् स देही सुदर्शनः ॥ ६० जो दुर्बुद्धि मानव कालोचित - समयपर प्राप्त हुए - साधुओं को छोडकर अन्य उत्तम साधुओं को ढूंढते हैं वे दुर्जन उन्हें दान न देनेके कारण दाता और पात्र दोनों से रहित हो कर दुःखदायक योनियों में परिभ्रमण करेंगे ॥५६॥ जो कितने ही क्षुद्र मनुष्य आहारादि मात्र के देने में भी पात्र - अपात्र की परीक्षा करते हैं, उनमें सज्जनों का लक्षण नहीं है ॥ ५७ ॥ औषध आदिकी इच्छा से साधु घर आने पर जो उनकी अवज्ञा की जाती है उससे अधिक पाप और अन्य क्या हो सकता है ? उसे महापाप ही समझना चाहिये ॥ ५८॥ __ सन्मान के योग्य अन्य भी – गृहस्थ भी-सार्मिक जनके, विशेषकर साधुओं में श्रेष्ठ मुनि के दृष्टिगोचर होनेपर अविनश्वर निधि अथवा अतिशय स्नेही बंधु के दृष्टिगोचर होने के समान जिस सत्पुरुष के नेत्र और मुख आनन्द, प्रफुल्लता एवं हास्य से सुन्दर नहीं होते हैं उसके हृदय में जिन भगवान् तो दूर रहें, किन्तु उनके वचन भी - उनका सदुपदेश भी – स्थित नहीं रह सकता है ॥ ५९॥ - साधु जन को देखकर जिस के नेत्र आनन्द से प्रफुल्लित हो उठते हैं, तथा जिसके हृदय में अतिशय आनंद का प्रवाह उत्पन्न होता है उस मनुष्य को सम्यग्दृष्टि समझना चाहिये ॥ ६ ॥ ५६) 1 यथावसरम. 2 त्यजन्तः सन्तः 3 वाञ्छन्ति. 4 दुष्टाः । ५८) 1 विषये। ५९) 1 कुत्रापि 2 पूज्य.3P °निधाविवापनिधने.4 द्वे भवेताम्. 5 नेत्रमुखे. 6 जैनं वचोऽपि । ६०) 1 जीवः ।
SR No.090136
Book TitleDharmaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysen, A N Upadhye
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1974
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size38 MB
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