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समन्तभद्र भारती
शुद्ध
होता जैसे
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संशोधन - छपनेमें कुछ अशुद्धियां हो गई हैं, जिनका संशोधन निम्नप्रकार हैं, पाठक पहले ही सुधार लेनेकी कृपा करें:पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध तदनुपम
त्वनुपम जास्तित्व
अस्तित्व ३२ १० सत्ता-अस्तित्व में सत्ता-अस्तित्वमें ४० २४ यदि
यदि (ब्लैक टाइपको
। सूचनार्थ) ५३ १८
होता; जैसे असंभद
असंभव ६६ ५ द्रयको
द्रव्यको केबल
केवल द्रव्यम्
द्रव्यम व्यक्तिरिक्त
व्यतिरिक्त ज्ञेयाऽनन्त्यान्न
ज्ञेयाऽऽनन्त्यान्न १०३ २४ उपेक्षा-फलमाऽऽस्य उपेक्षा फलमाद्यस्य अर्थव्यवस्था
अर्थव्यवस्था कहने ववाली
कहनेवाली २ (प्रस्तावना) १९ रचवाएँ
रचनाएँ २० उपलल्य
.उपलब्ध " १३ असद्भवामें
असद्भावमें शास्त्रकारः
शास्त्रकारैः कलित
फलित ३३ , १६ चाता
जाता सूचना-(१) इसी प्रस्तावनाके पृष्ठ २६ पर फुटनोटमें मुद्रित २४ से २६ तककी 'श्रोतव्याष्टसहस्री' आदि तीन पंक्तियाँ पृ० २७ पंक्ति २८ के नीचे एक नम्बरके फुटनोटको जगह पढ़ें। ' (२) तथा पृ० ४६ पंक्ति २६, नम्बर ११ पर मुद्रित फुटनोटको नम्बर १३ का फुटनोट पढ़ें।
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