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(देव शिल्प) निरंधारनिषीधिका
प्रकाश सहित, व्यक्त, प्रदक्षिणा पथ से रहित मंदिर, प्रासाद जैन महापुरुष का स्मारक स्तंभ या शिला, निषद्या, समाधि अथवा मोक्षगमन का स्थल बाहर निकलता हुआ भाग आमलसार का देव, चन्द्रमा
निर्गमनिशाकरनिःस्वननृत्यमंडप
पट्टपट्टभूमिकापट्टिकापताकापंचदेव पंच मेरुपंच रथपंच शाखापंचायतनपंजरपदपत्र लतापत्र शाखा
रंग मंडप, परिस्तम्भीय सभा मंडप पानी का बहाव पाषाण का पाट, अलंकरण से रहित या सहित पट्टी ऊपर की मुख्य खुली छत दालान, बरामदा ध्वजा ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य, ईश्वर तथा सदाशिव इन पांच देवों का समूह, उरुश्रृंग के देव जैन परंपरा के पांच मेरुओं की अनुकृति पांच प्रक्षेपों सहित मन्दिर द्वार की पांच अलंकृत पक्खों सहित चौखट चार लघु मंदिरों से परिवृत्त मन्दिर लघु अर्धवृताकार मन्दिर, नीड़ भाग, हिस्सा पत्रांकित लताओं की पंक्ति प्रवेश द्वार का वह पक्खा जिस पर पत्रांकन होता है, द्वार की प्रथम शाखा कमलाकार गोटा या एक भाग, दक्षिण भारतीय फलक को आधार देने के लिये बनाया जाने वाला एक कमलाकार शीर्षभाग समतल छत कगल की कली जैसा आकार, शिखर का गूमटनुमा उठान पत्तियों के आकार वाला थर, दासा एक अलंकृत पट्टी जो दक्षिण भारतीय स्तंभ के मध्य भाग और शोर्ष भाग में होती है। गुम्बज के ऊपर की मध्य शिला, नीचे लटकती दिखती है, छत का अत्यलंकृत कमलाकार लोलक, पद्मा पद्मशिला नवशाखा वाला द्वार पलंग, खाट, पल्यंक
पद्म
पदाकपद्मकोशपद्मपत्रपप्रबंध
पद्मशिला
पद्मापद्मिनीपर्यंक