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________________ ৫ হিল INUENIN MAMमर तीर्थकर वर्धमान महावीर वीर जिन वल्लभ प्रासाद वीर विक्रम पासाद महीधर प्रासाद বল I বিধান प्रासाद की वर्गाकार शूमि के २४ भाग करें। उनमें कोण ३ भाग प्रतिकर्ण , ३ भाग कोणी १ भाग नन्दी १ भाग भद्रार्ध ४ भाग रखें। शिखर की सन्ना कोण के ऊपर २ क्रम (केसरी व सर्वतोभद्र) तथा एक श्रीवत्स श्रृंग चढ़ाएं ; प्ररथ के ऊपर २ क्रम (केसरी व सर्वतोभद्र) तथा एक श्रीवत्स श्रृंग चढ़ाएं ; द्र के ऊपर ४ उरुश्रृंग चढ़ाएं : कोणी के ऊपर १ श्रीवत्स श्रृंग चढ़ाएं ; नदी के ऊपर १ श्रीवत्स श्रृंग चढाएं : प्रत्यंग ८ चढ़ाएं : MIR ६० श्रृंग संख्या कोण प्ररथ १२० प्रत्यंग गद कोशी मन्दी शिखर - - - - - - - - - - - - - - - - - कुल २२१ वीर जिन वल्लभ प्रारगट वीर विक्रम प्रासाद- महीधर ग्रासाद
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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