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(देव शिल्प)
तीर्थकरसंभवनाथ संभव जिन वल्लभ प्रासाद
सत्न कोटि प्रासाद
सार---------
वाल का विभाग
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प्रासाद की वर्गाकार भूमि थे ९ भाग करें। भद्रार्थ
१,१/२ भाग प्रतिस्थ
१भाग कणी
१/४ भाग
१/४ भाग कोण
१/२ भाम
शिखर की सजा कोग के ऊपर २ क्रम चढ़ायें (केसरी तथा सर्वतोभद्र) प्रतिकर्ण के ऊपर २ क्रम चढ़ावें (केसरी तथा सर्वतोभद्र) काणी के ऊपर मग चहावे. नन्दिका के ऊपर १श्रृंग चढ़ावें। चारों दिशा के भद्र के ऊपर १६ उरुश्रंग चढ़ावें। कोने पर
८ प्रत्यंग चढ़ावें
संभव जिन वलभ प्रारत-नकोटिप्रासाद
श्रृंग संख्या कोण प्रतिकर्ण कणी पर नन्दी पर उरुश्रृंग प्रत्यंग शिखर
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कुल
२०९ श्रृंग