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मेरु आदि बीस प्रासाद मेरु जाति के प्रासाद भी लोक आनन्दकारी प्रासाद हैं। इनके बीस भेद हैं। शिखर एवं तल के विभागों में किंचित अंतर करके ये विभाग किये गये हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं -
१. ज्येष्ठ मेरु २. मध्यम मेरु ३. कनिष्ठ मेरु ५. लक्ष्मो कोटर ६. कैलास ७. पंचवक्त्र ८. विमान ९. गंधमादन १०. मुक्तकोण ११. गिरि
१२. तिलक १३. चंद्रशेखर १४. मन्दिर तिलक १५. सौभाग्य १६. सुन्दर १७. श्री तिलक १८. विशाल १९. श्री पर्वतकूट २०. नन्देिवर्ध
४.
मन्दिर
इनके शिखरों की रचना अंडक तथा तिलक पर आधारित हैं। संक्षेप में यहाँ इनके तल का विभाग एवं शिखर के अंडकों की संख्या दे रहे हैं। विशेष विवरण अन्य ग्रन्थों में दृष्टव्य हैं।
१. ज्येष्ठ मेरु
अण्डक १००१
तल भाग ७२ २. मध्यम मेरु
अण्डक ५०५ तल भाग ६४ कनिष्ठ मेरु अण्डक २९३ तल भाग ५४ मन्दिर प्रासाद अण्डक १८५ तिलक ८ तल भाग ३८ लक्ष्मी कोटर प्रासाद अण्डक १४९ तिलक ६४ तल भाग ३८
कैलास प्रासाद अण्डक १२९ तिलक २४
तल भाग ३६ ७. पंचवक्त्र प्रासाद
अण्डक १६१ तिलक ७२ तल भाग १८ विमान प्रासाद अण्डक ७७ तिलक २४ तल भाग २६ गंधमादन प्रासाद अण्डक २०९ तिलक १६४ तल भाग ३६