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________________ (देव शिल्प ३९३) केसरी आदि पच्चीस प्रासादों के नाम नागर जाति के प्रासादों में केसरी आदि पच्चीस प्रासाद प्रमुख माने जाते है । ये प्रदक्षिणा युक्त अथवा बिना प्रदक्षिणा के भी बनाये जाते है। केसरी आदि पच्चीस प्रासादों के नाम एवं विवरण इस प्रकार १- केसरी २- सर्वतोभद्र ३- नन्दन ४- नन्दशालिक ५- नन्दीश ६- मन्दर ७- श्रीवृक्ष ८- अमृतोद्भव ९- हिमवान १०- हेमकूट ११- कैलाश १२- पृथ्वीजय १३- इन्द्रनील १४- महानील १५- भूधर १६- रत्नकूटक १७. वैडूय १८- पदमा १९- वज्रक २०- मुकुटोज्जवल २१- ऐरावत २२- राजहंस २३- गरुड़ २४- वृषभध्वज २५- गेरु इन प्रासादों में मेरु प्रासाद ब्रह्मा, विष्णु, शिव एवं सूर्य के लिये बनाना चाहिए । अन्य के लिए नहीं।" जिनेन्द्र देव के लिए भी केसरी आदि प्रासाद बनायें जाते हैं उनका विवरण पृथक दिया गया हैं। - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - *केशरी सर्वतोभद्री नंदनो जंदशालिकः। जंदीशो मंदिरश्चैव श्रीवत्वातोभ्दवः ।। शि.र.६/५ हिमवान् हेपाट कैलासः पृथिवीजयः। इन्द्रनीलो पहानील) भूधरो रत्नकूटकः ।। शि.र.६/६ वैड्यः परागश्च दजको मुकुटोज्वलः। ऐरावती राजहंसो गरुडो वृषभध्वजः ।। शि.२.६/७ मेरुः प्रासादराजश्व देवानामालयं हि सः । केशरवाः समाख्याता नामतः पञ्चविंशतिः ।। शि..६/ **हरो हिरण्यगर्भश्च हरिर्दिनकरस्तथा। एते देवाः स्थिता धेरौ नान्येषां स कदाचन ।। प्रा.म.प.०/६७
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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