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(देव शिल्प
(३४८) चाहिये। इसके पश्चात् जीर्णोद्धार कार्य का उत्रास्तयित्व ग्रहण करने वाले उपासकों को जिनेन्द्र प्रभु की अंदी के समक्ष श्रीफल अर्पण कर यह संकल्प करना चाहिये -
हम देवाधिदेव श्री ---------- ------- (मूलनायक) सहित समस्त जिनेन्द्र देदों को यहाँ से उत्थापन कर नये स्थान ------------- में (जहाँ भगवान का स्थानांतरित करना है) स्थापित करना चाहते हैं। सदैव की भांति हम यहां भी भक्तिपूर्वक श्रीजी का पूजन अभिषेक नियमित रूप से करते रहेंगे। जीर्णोद्धार कार्य समाप्त हो जाने पर हम सभी प्रतिमाओं को विधि पूर्वक मूल स्थान में स्थानांतरित कर देवेंगे। जीर्णोद्धार कार्य हम ------------- ---- समय मर्यादा में पूरा करने का संकल्प लेते हैं, इस अवधि में हम ------- - रस त्याग, एकाशन आदि संयम का पालन करेंगे।
___ हम यहाँ स्थित जिन शासन प्रभावक देवी-देवताओं से भी विनय करते हैं कि वे हमें इस धर्म कार्य में पूर्ण सहयोग प्रदान करें तथा यह कार्य निर्विघ्न तथा समय सीमा में पूरा हो सके इस हेतु समुचित सहकार एवं मार्गदर्शन देखें।
जिनेन्द्र प्रभु के समक्ष श्रीफल अर्पण कर संकल्प करें। शासन देवों, वास्तु देवों तथा दिग्पाल देवों के समक्ष भी आदर पूर्वक यथायोग्य वन्दना एवं श्रीफल अर्पण कर याचना करें कि यदि कोई जाने - अनजाने में भूल हो जाये तो उसे आप अनुग्रह पूर्वक क्षमा करें तथा समुचित संकेतों से हमें मार्गदर्शन दें।
इसके उपरांत मंगलध्वनि के साथ प्रतिमाओं को नई येदी पर स्थापित करें। प्रतिमा स्थापना पर्याप्त सावधानी से करें इसमें प्रसाद या उतावली न करें। बिना पूजा विधान एवं हवन किये प्रतिमाओं को कदापि प्रस्थापित न करें।
जीर्णवास्तुपातन विधि जीणोद्धार करने के लिए स्वर्ण अथवा रजत का हाथो या बैल बनायें। इसके दांत अथवा सींग से प्रथम शुभ मुहूर्त में जीर्ण वास्तु गिराना प्रारंभ करें। इसके पश्चात् विज्ञ शिल्पी सारी वास्तु को गिरी देखें।
जीर्णोद्धार प्रारम्भ समयचयन शुभ दिवस, शुभ नक्षत्र, शुभ लग्न, उत्तग बलवान चन्द्रमा तथा चन्द्र तारा का बल संयुक्त शुभ गुहूर्त में तथा अमृतसिद्धि योग में जीर्णोद्धार कार्यारम्भ करना चाहिए ।
जीर्णोद्धार के लिएवास्तुचालन
यदि अय जीर्ण प्रासाद मिट्टी का हो तो उरो पूरी तरह गिरा दें तथा पुनः निर्माण करें। यदि तीन हाथ प्रमाण का काष्ट निर्मित आधा पुरुष ऊँचा प्रासाद हो तो इसे चलायमान करें। इससे ज्यादा ऊँचा हो तो चलायमान नहीं करें। ##
*.र.५/१६, **प्रा.
८/१५ शि. र ५/५१८. #शि.२.५/१५. ##i. मं.८/११शि. ५/१२