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(देव शिल्प
३४५) .
प्रतिमा के अंग भंग होने के फल
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भग्न अंग नख भंगअंगुली भंग नासिका ग बाहुभंग - पैर भंग - पादपोठ भंग चिन्ह भग परिकर भंग छत्रभंग - श्रीवत्स मंग आसन भंग
फल शत्रु भय देश विनाश कुल नाश बंधन धन हानि कुल नाश योहानाश सेवकों का नाश लक्ष्मी नाश सुख नाश ऋद्धि नाश
उपासक को चाहिए कि अत्यंत सावधानीपूर्वक ही देव प्रोतेगा का पूजननअभिषेक करें। प्रतिमा उठाने अश्चवा रखने में अत्यधिक सावधानी रखें । प्रतिमा आड़ी टेढ़ी न करें, प्रतिभा उठाते रखते समय उलटी न करें। किसी भी स्थिति में प्रतिमा भग्न न हो।