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(देव शिल्प
(२९१)
विशे.
तीर्थकर अनन्तनाथ
पाताल यक्ष दिग. लाल मगर तीन नाग के तीन फण
लाल
मगर
तीन
वाहन मुख मस्तक पर मुजा दाहिने हाथ में बायें हाथ में
छह
अंकुश, त्रिशूल, कमल चाबुका, हल, फल
कमल, खडग, पाश नेवला, ढाल, माला
अनन्तमती देवी (विजुभिणी)
श्वे.- अंकुशा दिग.
विशे.
वर्ण
सुवर्ण
इंस
वाहन भुजा दाहिने हाथ में बायें हाथ में
श्वे. गौर कमल चार रखडग, पाश ढाल, अंकुश
चार बाण, वरदान धनुष, बिलौरा, फल
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पातल यक्ष
अनन्तमति (विभिणा) देवी