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(देव शिल्प
(२५०) कायोत्सर्गप्रतिमा के मान का
विस्तृत विवरण ९ ताल = १०८ भाग की प्रतिमा का माप
मस्तक का माप
मरतक के केशों से लेकर ठोढ़ी तक १२ भाग प्रमाण ऊंचा तथा इतना ही चौड़ा मुख करें। उसमें १ ताल अर्थात् ४ भाग ललाट, ४ भाग नासिका, ४ भाग मुख और ठोढ़ी करें। ललाट ८ भाग चौड़ा तथा ४ भाग ऊंचा करें। अष्टमी के चन्द्रमा के समान ललाट करें। ललाट के ऊपर उष्णीश चोटी तक ५ भाग प्रमाण केश करें। उसके ऊपर २ भाग प्रमाण किंचित ऊंची गोल चोटी रखें। चोटी से ग्रीवा के पिछले भाग तक ५ भाग प्रमाण केश करें अर्थात् ललाट से चोटी तक १२ भाग
रखें। पीछे केश से चोटी तक १२ भाग प्रमाण रखें। ५. मस्तक के उभय पाश्चों में ४-४ भा। प्रमाण चौड़े (धनुषाकार मध्य में मोटे, दोनों ओर छोटे)
शंख नाम के दो हाड़ करें। ६. ललाट के ४ भाग नीचे तथा ४१/२ लम्बे दोनों भंवारे (भौंह) करें! आदि में १, १/२ भाग चौड़ा
अन्त में १/४ भाग चौड़ा करें। नेत्र का माप १. ३ भाग प्रमाण लम्बी नेत्रों की सफेदी कमल पुष्प दल के समान करें। २. राफदी के मध्य में भाग श्याम तारा करें। ३. तारा के मध्य में १/३ भाग गोल छोटी श्याम तारिका करें। ४. भृकुटी के मध्य से लेकर नीचे की ओर बाफुणी (ऊपरी पलक) तक ३ भाग आंखों की चौड़ाई
करें।
नासिकाभागकामाप १. नासिका के मूल में २ भाग दोनों नेत्रों का अंतराल करें। २. ऊपर नीचे के दोनों ओंठ २-२ भाग प्रमाण लम्बे तथा १-१ भाग ऊंचे (मोटे) करें। ४ भाग मुख
का खुलता भाग रखें । मुख के मध्य में २ भाग ओंटों को खुला करें। १-१ भाग दोनों बगलें मिली हुई करें। नासिका के नीचे और ऊपर के ओंठ के मध्य १/२ भाग लाबी १/३ भाग चौड़ी नाली करें १
भाग लंबी १/२ भाग मोटी सृक्किणई (ओंठों की बायीं दायीं बगले) करें। ४. २ भाग मोटा हनु (गाल के ऊपर के समीप का हाड़) करें। ५. हनु के मूल से चिबुक (गालों के नीचे काम के पास तक का हाड़) का अन्तराल ८ भाग करें। ६. कान ४ भाग लम्बे २ भाग चौड़े करें। ४ भाग पास (कान के मध्यवर्ती कड़ी नस के आगे परनाली
ल