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________________ ३०८ ३०९ ३१० ३११ ३१२ ३१३ ३१४ ३१५ ३१६ क्षेत्रपाल प्रकरण, स्वरुप क्षेत्रपाल देव का स्वरुप मणिभद्र यक्ष स्वरुप, सर्वान्ह यक्ष घंटाकर्णयक्ष यक्ष मन्दिर विद्या देवियां विद्या देवियां- रोहिणी-प्रज्ञप्ति विद्या देवियां- वजश्रृंखला और वजांकुशा विद्यादेवियां-जाम्बुनदा पुरुष दत्ता विद्या देवियां- काली, महाकाली विद्या देवियां- गोरी, गांधारी विद्या देवियां-ज्वालामलिनी, मानवी विद्या देवियों - वैरोटी, अच्युता विद्या देवियां- मानसी, महामानसी जैनेतर टेवों का पंचायतन, सूर्य, गणेश, विष्णु, शविते, रुद्र गणेश, चतुर्मुख शिव मंदिर सूर्य ग्रह मंदिर में नवग्रहों का स्थान गौरी आयतन, एक द्वार शिव मंदिर ३१७ ३१८ ३१९ ३२० ३२१ ३२२ ३२४ ३२५ ३२५ ३२७ ३२८ ३२९ ३२९ विविध निर्देश गृह चैत्यालय विभिन्न दिशाओं में गृह चैत्यालय बनाने का फल गृह चैत्यालय में प्रतिमा स्थापन के लिए निर्देश गृह चैत्यालय में रखने योग्य प्रतिमा का आकार गृह चैल्यालय में शुचिता प्रकरण पूजा करने की दिशा जिन मंदिरों से निकलने की विधि, प्रदक्षिणा विधि जैनेतर गृह मंदिर में निषेध वसतिका एवं निषीधिका प्रकरण, वसतिका, स्वरुप वसतिका - दिशा निर्देश निषीधिका - दिशा निषीधिका- पूज्यता पंचकल्याणक प्रतिष्ठा मंडप प्रतिष्ठा मंडप पांडुक शिला स्तूप ३३१ ३३२ ३३३ ३३४ ३३५ ३३६ ३३७ ३३८ ३४० ३४१ ३४२
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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