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देव शिल्प
१
स्तम्भ बनाना चाहिये ।
( प्रा. मं. ७ /१४)
विधि २- मन्दिर की चौड़ाई के १३ वें एवं १४वें भाग के बराबर प्रमाण की चौड़ाई का स्तंभ भी बनाया जा सकता है। ( अप. सू. १८४ / ३५ प्रा.मं. पृ. १२१ )
विधि ३ - क्षीरार्णव के मतानुसार प्रासाद की चौड़ाई हाथ में
२
३
स्तंभ की चौड़ाई अंगुल / इंच ४ अंगुल / इंच
19 अंगुल / इंच
९ अंगुल / इंच
८-२०
प्रत्येक हाथ के २-२ अंगुल बढ़ाएं प्रत्येक हाथ के १,१/४ अंगुल बढ़ाएं
२२-६०
६२-८०
प्रत्येक हाथ के १ अंगुल बढ़ाएं प्रत्येक हाथ के ३/४ अंगुल बढ़ाएं इसमें
४१-५०
८२-१००
५० हाथ ( १०० फुट) वाले प्रासाद में स्तंभ की चौड़ाई २ हाथ १७, १/२ अंगुल (५ फुट५, १/२ इंच )
होगी ।
विधि ४- ज्ञानप्रकाश दीपार्णय के मतानुसार
४-१०
११-३०
३१-४०
मान इस प्रकार हैं
-
विधि १ - मन्दिर की चौड़ाई के १० वें, ११वें या १२वें भाग के समान प्रमाण की चौड़ाई का
प्रासाद की चौड़ाई
हाथ में
१
२
३
४
x
स्तम्भ के मान की गणना
विभिन्न विद्वानों ने अपने दृष्टिकोण से स्तंभ के विस्तार का मान दिया है वे
५-१२
१३-३०
३१-५०
१३८
फुट में
२
४
६
फुट में
२
४
६
८
स्तंभ की चौड़ाई अंगुल / इंच
४ अंगुल / इंच
७ अंगुल / इंच
९ अंगुल / इंच
• १२ अंगुल / इंच
१०-२४
२६-६०
६२-१००
इसमें ५० हाथ वाले प्रासाद में रतंभ की चौड़ाई २ हाथ २, १/२ अंगुल होगी। स्तम्भ की चौड़ाई से चार गुनी स्तंभ की ऊंचाई रखें।
प्रत्येक हाथ के १, १/२ अंगुल बढाएं प्रत्येक हाथ के १ अंगुल बढ़ाएं
प्रत्येक हाथ के १/२ अंगुल बढ़ाएं