________________
दव्यसंगह। श्वेतपटः। विकल्पसंकल्पकारकात् यथा ज्ञानात्मको मोक्षस्तथाज्ञानादेव इति मस्करपूर्णः, श्रीपार्श्वनाथशिष्योऽप्येकान्तदर्शी। अविरति पञ्चप्रकारी हिंसा, असत्यम्, चौर्यम्, मैथुनसेवा, परिग्रहस्वीकाररूपाः। प्रमादाः पञ्चदशप्रकाराः, स्त्रीभक्तराजचौरकथाश्चत्वारः। क्रोधमानमायालोभा-श्चत्वारः। इन्द्रियप्रवृत्तयः पञ्च। निद्रा स्नेहश्च। योगास्त्रिप्रकारा: अशुभमनोवाकायरूपाः। क्रोधश्चतुः प्रकार: स च प्रमादमध्ये पतितो दृष्टव्याः। उत्थानिका : इन दोनों में से भावानव का स्वरूप कहते हैं - गाथार्थ : [पुव्वस्स ] भावात्रव के [मिच्छत्त ] मिथ्यात्व [ अविरदि] अविरति [पमाद] प्रमाद [ जोग ] योग [ कोहादयो ] क्रोधादि [ दु] और (वे) [ कमसो] क्रम से [ पण] पाँच [ पण] पाँच [ पणदस ] पन्द्रह [तिय } तीन [चदु] चार [ भेदा ] भेद[ विण्णेया ] जानने चाहिये।। 30 1॥ टीकार्थ : सविण्णेया सम्यक् प्रकार से जानना चाहिये। उस के कितने भेद हैं? किस के? पुवस्स पूर्व के, भावानव के। किस नाम वाले भेद हैं? मिच्छत्ताविरदिपमादजोगकोहादयो मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, योग और क्रोधादि। किस प्रकार? पण पण पणदस तिय चदु भेदा दु पाँच, पाँच, पन्द्रह, तीन और चार भेद से। ___ उस में मिथ्यात्व पाँच प्रकार का है। सभी वस्तुएं क्षणिक हैं ऐसे एकान्तदर्शी बौद्ध हैं। निश्चय से ये सब ब्रह्म हैं ऐसे एकान्तदर्शी ब्रह्माद्वैतवादी हैं। विनय से ही मोक्ष होता है ऐसे एकान्तदर्शी शैव हैं। जिनेन्द्र को भोजन करते हुए, आभरण सहित मोक्ष होता है, स्त्री का निर्वाण होता है ऐसे एकान्तदर्शी श्वेताम्बर हैं। विकल्प और संकल्प का कारक होने से जैसे ज्ञानात्मक मोक्ष होता है, वैसे अज्ञान से ही मोक्ष होता है ऐसा मानने वाला
162 ।