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दश्वसंगह 11. ब्रह्मदेव की टीका के विषय में श्री एस. सी. घोषाल ने द्रव्यसंग्रह की अपनी |
अंग्रेजी प्रस्तावना में विचार करने के बाद लिखा है --
"Thus it is clear that the commentator, Brahmadeva, was born several centuries after Nemichandra. Consequently. the statement which he makes about the composition of works by Nemichandra must be read with caution and accepted only when the same are confirmed by other proofs. Keeping this fact in view, we are not inclined to accepe without any further evidence, the statement made by Brahnadeva. __इस प्रकार द्रव्यसंग्रह तथा त्रिलोकसार आदि के कर्ता एक ही नेमिचन्द्र हैं, यह मानने में कोई विप्रतिपत्ति नहीं हैं। नेमिचन्द्र का समय उन के ग्रन्थों, शिलालेखों तथा अन्य साक्ष्यों के आधार पर शक संवत् 900 ईस्वी सन् 978 निश्चित किया गया है। वे गंगवंशी राजा रायमल्ल के प्रधान सेनापति चामुण्डराय के गुरु थे। विशेष विवरण के लिए गोम्मटसार आदि की प्रस्तावना द्रष्टव्य है।
मिचन्द्र भनि
लेखक : नेमिचन्द जैन अभी तक यह धारणा चली आ रही थी कि द्रव्यसंग्रह या बृहद्र्व्य संग्रह के रचयिता नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती हैं। पर अब नये प्रमाणों के आलोक में यह मान्यता परिवर्तित हो गयी है। अब समीक्षक विद्वानों का अभिमत हैं कि द्रव्यसंग्रह के रचयिता नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती से भिन्न अन्य कोई नेमिचन्द्र हैं, जिन्हें नेमिचन्द्र सिद्धान्तिदेव या नेमिचन्द्रमुनि कहा गया है। बृहद्रव्यसंग्रह के टीकाकार ब्रह्मदेव ने ग्रन्थ का परिचय देते हुए लिखा है - ___ "अथ मालवदेशे धारानामनगराधिपति राजभोजदेवाभिधानकलिकालचक्रवर्तिसम्बन्धिनः श्रीपालमण्डलेश्वरस्य सम्बन्धिन्याश्रमनामनगरे श्रीमुनिसुव्रततीर्थकरचैत्यालये शुद्धात्मद्रव्यसंवित्तिसमुत्पन्नसुखामृतरसास्वादविपरीतनारकादिदुःखभयभीतस्य परमात्मभावनोत्पन्नसुखसुधारसपिपासितस्य भेदाभेदरत्नजयभावनाप्रियस्य भव्यवरपुण्डरीकस्य भाण्डागाराधनेकनियोगाधिकारिसोमाभिधानराज श्रेष्टिनो निमित्त श्रीनेमिचन्द्रसिद्धान्तिदेवैः पूर्वं षड्विंशतिगाथाभिलघुद्रव्यसंग्रहं कृत्वा पश्चाद्विशेषतत्त्वपरिज्ञानार्थं विरचितस्य बृहद्र्व्यसंग्रह