________________
दौलतराम की लाज इच्छा है कि भी बलक मा होकर इस: I होली खेलें जिससे भव-भव के दुःख दूर हो जावें, टल जावें । वे औरों को भी समझाते हैं कि तू श्री जिन की एकमात्र शरण में जा जिससे जगत में तेरी लाज/इज्जत बचे और तुझे मोक्षरूपी लक्ष्मी प्राप्त हो।
बोरी - ओर।
१२८
दौलत भजन सौरभ