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दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : एक अध्ययन कृत टिप्पणक एवं एक अज्ञातकर्तृक पर्याय उपलब्ध है। इसमें से नियुक्ति और चूर्णि का प्रकाशन हुआ है। परन्तु शेष व्याख्या साहित्य के प्रकाशित होने की सूचना उपलब्ध नहीं है। विभिन्न स्रोतों के आधार पर इनका ग्रन्थ-परिमाण नियुक्ति १४१ गाथा, चूर्णि २२२५ या २१६१ श्लोक-परिमाण ब्रह्ममुनि कृत टीका ५१५२ श्लोक-परिमाण है। दशाश्रुत स्कन्ध के प्रकाशित संस्करणों का उल्लेख किया गया है।
प्रकाशन १. दशाश्रुतस्कन्धसूत्र- हिन्दी अनु० सहित, अनु० मुनि अमोलक ऋषि, राजा
बहादुर लाला सुखदेव सहाय, ज्वालाप्रसाद जौहरी, हैदराबाद १९२०, पृ० १४८, प्रताकार। दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम्- संस्कृत छाया, पदार्थान्वय, अर्थ, हिन्दी टीका, सूत्रानुक्रमणिका एवं शब्दार्थकोश सहित, अनु० व्याख्या० आत्माराम महाराज, जैन शास्त्रमाला-१, जैनशास्त्रमाला कार्यालय, लाहौर १९३६, पृ०
४२, ४९६, ४१, डबल डिमाई। ३. दशाश्रुतस्कन्ध, नियुक्ति एवं चूर्णि सहित, मणिविजय गणिवर ग्रन्थमाला सं०
१४, भावनगर १९५५, पृ० ४२, १८४, प्रताकार। दशाश्रुतस्कन्यसूत्रम्- संस्कृत छाया, टीका, हि०एवं गुज० अनु० सहित, मुनि घासीलाल जी, अ०भा०श्वे०स्था जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, द्वि०सं० १९६०, पृ० ४४, ४५०, डबल डिमाई।
आयारदसा, (मूल) सं० मुनि श्री कन्हैयालाल 'कमल', आगम अनुयोग प्रकाशन पुष्प १२, आगम अनुयोग प्रकाशन, बांकलीवाल, १९१७, पृ०
१३८, पाकेट बुक आकार। ६. दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम, (मूल) सं० विजयजिनेन्द्रसूरि, हर्षपुष्पामृत जैन
ग्रन्थमाला सं० ७६, आगम सुधा सिन्धु खण्ड ९, लाखाबावल, पृ० २४५-२८८, रायल आक्टो। दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम, (मूल) सं० रतनलाल डोशी, अ०भा०स्था० जैन संस्कृति रक्षक संघ, सैलाना १९८०। दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् , (मूल) आनन्दसागर सूरि, आगम रत्न मञ्जूषा। दसाओ, (मूल), नवसुत्ताणि-५, वाचनाप्रमुख गणाधिपति तुलसी, सं० आचार्य महाप्रज्ञ, जैन विश्वभारती, लाडनूं १९८७, पृ० ४२५-४९१, डबल डिमाई।