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छन्द-दृष्टि से दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : पाठ-निर्धारण
देही विद्या क्षमा
३५
३६
३८
or
५५
or
OM
or
영명 9명 영 영 영 영 영 영 영 영 영 영 영 명
SEE
९०
१३. १४.
९६
१५
धात्री
क्षमा
१६. १७.
११६ १३५
or
१९.
१३७
विद्या
इसप्रकार द०नि० (१४१) की आधी से अधिक गाथायें (४७+१०+१९=७६) छन्द की दृष्टि से यथास्थिति में ही शुद्ध हैं।
अब ६५ गाथायें ऐसी शेष रहती हैं जिनका पाठ छन्द की दृष्टि से न्यूनाधिक रूप में अशुद्ध कहा जा सकता है। इनमें १४ गाथायें ऐसी हैं जिनमें प्राकृत व्याकरण के शब्द अथवा धातु रूपों के नियमानुसार गाथा-विशेष के एक या दो शब्दों पर अनुस्वार की वृद्धि कर देने पर गाथा-लक्षण घटित हो जाता है ऐसी गाथाओं की सूची इसप्रकार है
प्राकृत शब्द अथवा धातु रूपों के अनुरूप अनुस्वार का ह्रास एवं वृद्धि कर देने मात्र से छन्द की दृष्टि से शुद्ध होने वाली गाथायेंक्रम सं० गाथा सं० शब्द-संशोधन गाथा
२४
चरणेसु > चरणेसुं ३१
दुग्गेसु > दुग्गेसुं महामाया भिक्खूण > भिक्खूणं गौरी तेण > तेणं
धात्री मोत्तूण > मोत्तूणं गौरी इयरेसु > इयरेसुं छाया
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देही
४०
६५
- 3
७५
७६