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[चिद्विलास गई है ? और यदि मूक्ष्मण को हैं तो उसे द्रव्य को परिणति क्यों कहा है ?
समाधान :- सूक्ष्मगुण के कारण द्रव्य सूक्ष्म है तथा द्रव्य अनन्त गुणों का पुञ्ज है, अतः द्रव्य सूक्ष्म होने से सभी गुण सूक्ष्म सिद्ध होते हैं। परन्तु यह जो परिणमनशक्ति है, वह द्रव्य में है, जिससे द्रव्य गुणलक्षणरूप परिणमन करता है।
शंका :- यहाँ पुनः प्रश्न है कि द्रव्य का स्वभाव क्रमाक्रमरूप कैसे कहा गया है ?
समाधान :- क्रम के दो भेद किये गये हैं :-- (१) प्रवाहम और (२) विष्कम्भकम ।
जैसे अनादि से काल का समयप्रवाह चला आ रहा है, वैसे ही द्रव्य में समय-समय उत्पन्न होने वाले परिणामों का प्रवाह चला आ रहा है - इसी को 'प्रवाहक्रम' कहते हैं । यह 'प्रबाहक्रम' द्रव्य के परिणाम में है – ऐसा सिद्धान्त प्रवचनसार से जानना चाहिये । .. 'विष्कम्भक्रम' गुण का है, गुणा चौड़ाई रूप हैं और प्रदेश भो चौड़ाई रूप हैं । प्रदेशों को क्रमशः गिनने पर वे असंख्य हैं। प्रदेशो का यह विस्तार क्रम गुण में है, अतः इसी को 'विष्कम्भकम' कहते हैं । अथवा गुणों को कम से कहा जावे
१. प्रवचनसार गाथा १६ की प्रमतचन्द्राचार्य कृत टीका