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भावभावशक्ति ]
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है, एवं तीनों के विलास का अस्तित्वभाव सत्ता से है । अतः वह विलास सत्ता हो करती है ।
द्रव्य, गुण और पर्याय का विलास ज्ञान में प्राता है अर्थात् ज्ञानरूपवेदन के द्वारा ज्ञान ही तीनों के विलास को करता है । इसीप्रकार दर्शन में घटित होता है अर्थात् दर्शन सब द्रव्य, गुण और पर्याय के रूप का विलास करता है ।
परिणाम सबको बेदकर ( जानकर ) है, अतः पर्याय सबका विलास करती है । अनन्त गुण हैं, उनमें प्रत्येक गुण तीनों का गुण और पर्याय का विलास करता है ।
रसास्वाद लेता इसीप्रकार जो
प्रर्थात्
द्रव्य,
भावभावशक्ति
समस्त पदार्थों के समस्त विशेषों को ज्ञान वर्तमान में जानता है, पूर्व में जानता था और भविष्य में जानेगा । ज्ञान में जो शक्ति पूर्व में थी, वही भविष्य में भी रहती है अतः ज्ञान में 'भावभावशक्ति' है । इसीप्रकार दर्शन में भी जो भाव पूर्व में था, वही भविष्य में भी रहेगा, अतः दर्शन में भी 'भावभावशक्ति' है। ज्ञान और दर्शन की भाँति अनन्त गुणों में भी 'भावभावशक्ति' है । सब गुणों का भाव प्रत्येक गुण में है, अतः प्रत्येक गुरण के अपने भाव से सबका