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[ चिविलास
पर्याय की अपेक्षा सत्ता सादि-सान्त है तथा ४. पर्याय की अपेक्षा सादि और द्रव्य एवं गुण की अपेक्षा अनन्त होने से सत्ता सादि-अनन्त है ।
शंका :- सत्ता का लक्षण है' (अस्तिरूप) है, सादिसान्त में तो सत्ता का अभाव हो जाता है, अत: वहाँ 'है' (अस्तिरूप) लक्षण न रह सकेगा?
समाषाम :-- पर्याय समयस्थायी है, उसकी सत्ता भी समयमात्र काल की मर्यादा तक 'है' (अस्तिरूप) लक्षण को धारण करती है । अनादि-अनन्त का काल बहुत है, प्रतः पर्याय में सम्भव नहीं है । यदि पर्याय समयस्थायी न हो तो उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य एक ही समय में सिद्ध न हो सकेंगे और फिर उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य के बिना सत्ता न हो सकेगी तथा सत्ता का नाश होने पर वस्तु का नाश हो जाएगा अतः पर्याय की मयादा समयमात्र है, जिससे सादिसान्तपना सिद्ध होता है। __ ये सब परिणामशक्ति के भेद हैं, क्योंकि इसी में सब गभित हैं; अतः इसी के भेद हैं। प्रदेशत्वशक्ति
अनादि संसार से संसार-अवस्था में जो जीव के प्रदेशों का समूह संकोच-विस्तार को प्राप्त होता है, वह मोक्ष हो