________________
१०४ ]
[ चिदविलास
में उत्पाद, व्यय और प्रौव्य - ये तोनों प्रत्येक गुरण सिद्ध होते हैं । सूक्ष्मगुण की अनन्त पर्यायें हैं । जैसे ज्ञानसूक्ष्म, दर्शनसूक्ष्म इसीप्रकार अनन्त गुणसूक्ष्म । एक गुरग की मुख्यतारूप सूक्ष्मता का उत्पाद, दूसरे गुरण की गोणतारूप सूक्ष्मता का व्यय और सूक्ष्मत्व सत्ता की अपेक्षा श्रीव्य । इसप्रकार सूक्ष्मगुण में उत्पाद, व्यय और प्रौव्य सिद्ध होते हैं । इसोप्रकार सब गुणों में उत्पाद, व्यय और धौव्य सिद्ध होते हैं ।
परिणामशक्ति
गुणसमुदाय द्रव्य है, वह द्रव्य उत्पाद व्यय - ध्रौव्य से आलिंगित है । अपने गुण-पर्यायस्वभाव के कारण गुणरूप सत्ता के दो भेद हैं १. साधारण और २ असाधारण । द्रव्यत्व श्रादि साधारण और ज्ञान आदि असाधारण सत्ता हैं | ज्ञान-दर्शन आदि विशेषगुणों की सत्ता से जब जीब प्रगट होता है, तब जीत्र के वस्तुत्व प्रादि सभी गुण जानने में आते हैं । अतः असाधारण से साधारण और साधारण से असाधारण है 1
-
ये सभी द्रव्य-गुण- पर्याय जब अपनी यथावस्थितता द्वारा स्वच्छ होते हैं, तब पर के प्रभाव से प्रभावशक्तिरूप होते हैं ।