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छहवाला
प्रश्न १-निगोदिया जीवों की कौन सी गति एवं काय होती हैं ?
उत्तर-नेगादिया जीओ की तियच गति होती है । तथा एकेन्द्रिय में साधारण वनस्पतिकाय होती है ।
प्रश्न २–निगोदिया के दुःख कौन से हैं ? ।
उत्तर-निगोदिया जीव जन्म-मरण के दु:खों से अत्यन्त पीड़ित हैं, वे एक श्वास में अठारह बार जन्म लेते हैं तथा अठारह बार ही मरते हैं |
प्रश्न ३–निगोद से निकलने का क्रम क्या है ?
उत्तर-निगोद से निकला जीव प्रथम पंच स्थावरों पृथ्वी आदि में उत्पन्न होता है ।
प्रश्न ४–स्थावर जीव किसे कहते हैं ?
उत्तर-स्थावर नामकर्म के उदय से पृथ्वी जलादि जिनका शरीर हो उन्हें स्थावर जीव कहते हैं । ये एकेन्द्रिय ही होते हैं ।
अस पर्याय की दुर्लभता एवं तिबंधगति के दुःख दुर्लभ लहिं ज्यों चिन्तामणि, त्यों पर्याय लही त्रस प्रणी । लट पिपील अलि आदि शरीर, घर-घर मर्यो सही बहु पीर ।।६।। ___ शब्दार्थ-दुर्लभ = कठिन । चिन्तामणी = एक रत्न । ज्यों = जैसे। त्यों = तैसे । पर्याय = अवस्था (परिणमन) । स तणी = त्रस सम्बन्धी । पिपील = चींटी । अलि = भौंरा ! बहुपीर = बहुत दुःख ।. ____ अर्थ-जैसे चिन्तामणि रत्न बहुत कठिनाई से मिलता है वैसे ही उस पर्याय भी बड़ी कठिनाई से मिलती है । इस जीव ने उस पर्याय में लट, चींटी, भौरा आदि के शरीर बार-बार धारण कर मरण किया और बहुत दुःख उठाया ।
प्रश्न १-जस जीच किसे कहते हैं ?
उत्तर–त्रस नामकर्म के उदय से प्राप्त हुई जीव की अवस्था विशेष को उस कहते हैं।