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छहढ़ाला
प्रश्न ५–आठ स्पर्श बताइए ?
उत्तर-(१) हल्का, (२) भारी, (३) रूखा, (४) चिकना, (५) कड़ा, (६) नर्म, (७) ठण्डा और (८) गर्म ।
सकल द्रव्य को बास जास में, सो आकाश पिछानो । नियत वर्तना निशदिन सो, व्यवहार काल परिमानो ।।
आस्रव तत्त्य यो अजीव अब आस्रव सुनिये, मन, वच, काय त्रियोगा । मिथ्या अविति अरु कषाय, घरभाद सहित उपयोगा ।।८।।
शब्दार्थ-सकल सम्पूर्ण । वास = निवास । जास में = जिसमें । सो = वह । पिछानो = जानो । नियत = निश्चय । वर्तना = बदलना या परिणमाना । निशदिन = रात-दिन । परमाद = प्रमाद । उपयोगा = आत्मा की प्रवृत्ति । अर्थ- (१) जिसमें सम्पूर्ण द्रव्य निवास करते हैं, उसे आकाश
द्रव्य कहते हैं। (२) वर्तना लक्षण वाला काल द्रव्य है । इस प्रकार अजीव तत्त्व का वर्णन हुआ, अब आस्रव तत्त्व का वर्णन किया जाता है । मन, वचन, काय, मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद और कषाय सहित आत्मा की प्रवृत्ति है उसे आस्रव तत्त्व कहते हैं ?
प्रश्न १-आकाश द्रव्य के कितने भेद हैं ? उत्तर—यह एक अखण्ड द्रव्य है । प्रश्न २--काल द्रव्य के कितने भेद हैं ?
उत्तर- काल द्रव्य के २ भेद हैं-(१) निश्चय काल, (२) व्यवहार काल ।
प्रश्न ३--निश्चय काल और व्यवहार काल के लक्षण बताइए ?
उत्तर-स्वयं पलटना और दूसरी वस्तुओं को पलटाने वाला निश्चय काल है और रात्रि-दिन, घड़ी-घण्टा आदि व्यवहार काल है ।